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Rajesh kumari's Blog – May 2018 Archive (3)

लाएँगी खुशियाँ तभी जीवन में उल्लास (गीत )

दोहे की टेक ले कर उल्लाला छंद पर गीत (उल्लास )



जब तक जीवन में रहे , जीवित हास प्रहास । 

लायेंगी खुशियाँ तभी , जीवन में उल्लास । 



तम करता जब नृत्य है , उगता तब आदित्य है । 

पूर्वजों का कथ्य है , लेकिन बिल्कुल सत्य है । 

तन में श्रम की शक्ति हो , मन में हो विश्वास । 

लाएँगी खुशियाँ तभी , जीवन में उल्लास । 





अहम वहम को छोड़ दे , ईर्ष्या का रुख मोड़ दे । 

नफ़रत को झ्न्झोड़ दे , दिल से दिल को जोड़ दे । 

आयेगा चल कर तभी , तेरे पास उजास…

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Added by rajesh kumari on May 22, 2018 at 5:40pm — 4 Comments

शज़र जब सूख जाता है कोई पत्ता नहीं रहता (तरही ग़ज़ल 'राज')

1222  1222  1222  1222

 मुख़ालिफ़ होअगर मौसम तो कुछ अच्छा नहीं रहता 

बदलते वक्त में कोई कभी अपना नहीं रहता 





कोई इंसान रिश्तों के बिना जिंदा नहीं रहता 

मुहब्बत के बिना पक्का कोई रिश्ता नहीं रहता





बुजुर्गों को दुखी करने से पहले सोच ये लेना 

शज़र जब सूख जाता है कोई पत्ता नहीं रहता 





जहाँ पर मुफलिसी बच्चों से बचपन छीन लेती है 

किसी बच्चे के दिल में भी वहाँ बच्चा नहीं रहता 





ज़रूरत ज़िस्म की जिनको मशीनों सा बना…

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Added by rajesh kumari on May 19, 2018 at 10:46pm — 15 Comments

मेरी ज़मीन मेरा आसमाँ बदल डालो (ग़ज़ल 'राज')

१२१२  ११२२  १२१२  २२

तुम अपने दस्त-ए-हुनर से समां बदल डालो 

अगर पसंद नहीं है जहाँ बदल डालो 



गुबार दिल में दबाने से फ़ायदा क्या है 

सुकून गर  न मिले आशियाँ बदल डालो



उदास गुल हैं जहाँ तितलियों नहीं जाती 

तुम अपने प्यार से वो गुलसितां बदल डालो



जहाँ तलक न पहुँचती ज़िया न बादे सबा 

तो फ़िर ये काम करो वो मकां बदल डालो



भरोसा है तुम्हें तीर-ए-नज़र पे तो जानाँ  

अगर कमाँ है मुख़ालिफ़ कमाँ बदल डालो 



अभी अभी तो हुआ है…

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Added by rajesh kumari on May 10, 2018 at 6:28pm — 20 Comments

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