For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

NEERAJ KHARE's Blog (7)

अभिलाषा (व्यंग्य कविता)

चाह नही मेरी कि मैं ,अफसर बन सब पर गुर्राउं।
चाह नही मेरी कि मैं ,सत्ता में दुलराया जाऊं।।
लाल बत्ती की खातिर मैं ,अपनों का न गला दबाऊं।
गरीब जनों की सेवा करके ,आशीर्वाद उन्हीं का पाऊं।।
बड़े हमेशा बड़े रहेंगे ,छोटों को भी बड़ा बनाऊँ।
हर एक बच्चा बने साक्छर ,रोजगार के अवसर लाऊँ।।
मिटे गरीबी आये खुशहाली ,ऐसी मैं एक पौध लगाऊँ।।

.
(नीरज खरे)
मौलिक एवम् अप्रकाशित

Added by NEERAJ KHARE on June 6, 2016 at 7:30am — 3 Comments

कविता (माँ)

हे माँ तेरे चरणों की मैं धूल कहाँ से लाऊंगा,

रग रग में तू बसी हुई मैं भूल कहाँ से पाऊंगा।



तिनका तिनका बड़ा हुआ मैं ममता की इन छाँव में,

बात बात पर मुझे सिखाती किताब कहाँ से लाऊंगा।।



सबसे लड़ती मेरी खातिर गली मोहल्ले गांव में,

अब सब बन गए मेरे दुश्मन कैसे मैं बच पाउँगा



याद है एक दिन तूने मुझको यही पाठ सिखलाया था,

भाव सरल और मधुर वचन का सच्चा पाठ पढ़ाया था।।



दीन दुःखी की सेवा कर फिर जग में नाम कमाया था,

बनकर तेरे जैसा मैं अब कुछ…

Continue

Added by NEERAJ KHARE on May 31, 2016 at 9:00am — 5 Comments

जाम रे (व्यंग कविता)

शहर के इस जाम में

पत्नी को बाइक पे टांग के

मैं जा रहा था काम से

तभी अचानक एक विक्रेता

बोला सीना तान के

छांट बीनकर माल खरीदो

बेंचू मैं कम दाम में

मैंने बोला भीड़ बहुत है

फिर आऊंगा आराम से

बोला दीदी कितनी सुंदर

उनके कुछ अरमान रे

तुम तो भइया बहुत काइयां

लगते कुछ शैतान रे

पहले बोलो क्यूं हो खोले

शॉप बीच मैदान में

हंसकर बोला खाकी वर्दी

साथ निभाए शान से

गाउन, मैक्सी,पर्स खरीदो

करते क्यूं परेशान रे

तभी…

Continue

Added by NEERAJ KHARE on May 23, 2016 at 3:30pm — 5 Comments

दबी आवाज़ (लघु कथा)

हमेशा खुशमिजाज रहने वाली माँ को आज गंभीर मुद्रा में देखकर मैनें कारण जानना चाहा तो वो बोली- बेटा तुम भाइयों में सबसे बड़े हो इसलिय तुमसे एक बात करना चाहती हूँ| हाँ-हाँ बोलो माँ मैनें उत्सुकता पूर्वक जानना चाहा|माँ ने दबी आवाज़ में कहना प्रारंभ किया-बेटा तुम्हारा अपना मकान लखनऊ में और बीच वाले का वाराणसी मे बना गया है किंतु तुम्हारा तीसरा भाई जो सबसे छोटा है उसका न तो अपना मकान है और न वो बनवा पायगा कियोंकि वो कम किढ़ा लिखा होंने के कारण अछी नौकरी न पा सका|तो क्या हुआ माँ ये आप और बाबूजी का…

Continue

Added by NEERAJ KHARE on January 26, 2014 at 8:30pm — 12 Comments

दो कवितायेँ

(1)

आयो मेरे पास आयो

.

देश मेरा उजड़ रहा है

आओ मेरे पास आओ

कितने ही दुख भोग रहा है

आओ मेरे पास आओ

एक तरफ चाकू है चलता

दूसरी तरफ नरसंहार है

आतंकवाद है उससे ऊपर

सबसे ऊपर बलात्कार है

कितनों के दिल तोड़े इसने

घर कितनो के उजाड़े हैं

आँख के तारे छीने इसने

माँग के सिंदूर उजाड़े हैं

पाप की नगरी से डर लगता

आकर मुझको गले लगाओ

तुमसे बिछड़ न जाऊँ कहीं मैं

 आयो मेरे पास…

Continue

Added by NEERAJ KHARE on December 19, 2013 at 9:00pm — 7 Comments

प्यार अमर कर जाएगें (गीत)

खाकर इक दूजे की कसम

हम प्यार अमर कर जाएँगे

कोई रोक सके तो रोक ले हमको

हम न जुदा हो पाएँगे

हम बगिया के फूल नहीं

जो हमको कोई ऊज़ाडेगा

हम ने की नही भूल कोई

जो हम को कोई सुधारेगा

लैला मजनूं के बाद अब हम

इतिहास में नाम लिखाएगें

कोई रोक........................

पतझड़ सावन बसंत बहार

ऋीतुएँ होती हैं ये चार

एक भी मौसम नही है ऐसा

जिसमें हम कर सकें न प्यार

बुरी नज़र जो डालेगा उसका

मुह काला कर…

Continue

Added by NEERAJ KHARE on December 17, 2013 at 7:32pm — 4 Comments

श्रद्धा

रिटायरमेंट के छह महीने बाद कैंसर से पीड़ित बाबूजी के देहांत होने पर परिवार के सभी लोग दुखी थे. किंतु सबसे ज़्यादा दुखी उनका बेटा माखन था, रो रोकर उसका बुरा हाल था इसलिए नही कि उसका बाप मर गया था बल्कि वो यह सोच रहा था कि जब मरना ही था तो नौकरी मे रहते क्यूँ न मरे उसे उनकी जगह नौकरी मिल जाती; उसकी जिंदगी संवर जाती वर्ना लम्बा जीते ताकि उनकी पेंशन से उसका परिवार पल बढ़ जाता.तभी अचानक पड़ोसी ने पूछा दाह संस्कार किस रीति रिवाज़ से करेंगे. माखन अपने मरे बाप का कम से कम पैसे में अंतिम संस्कार करना…

Continue

Added by NEERAJ KHARE on December 16, 2013 at 7:00pm — 11 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
8 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
30 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का यह लिहाज इसलिए पसंद नहीं आया कि यह रचना आपकी प्रिया विधा…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी कुण्डलिया छंद की विषयवस्तु रोचक ही नहीं, व्यापक भी है. यह आयुबोध अक्सर…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आजी तमाम भाई, आपकी प्रस्तुति पर आ कर पुरानी हिंदी से आवेंगे-जावेंगे वाले क्रिया-विषेषण से…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"वाह आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी एक अलग विषय पर बेहतरीन सार्थक ग़ज़ल का सृजन हुआ है । हार्दिक बधाई…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ

२१२२ १२१२ २२/११२तमतमा कर बकी हुई गालीकापुरुष है, जता रही गाली मार कर माँ-बहन व रिश्तों को कोई देता…See More
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service