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जयनित कुमार मेहता's Blog – December 2015 Archive (3)

है देशों में वो देश महान,अपना प्यारा हिंदुस्तान (देशभक्ति गीत)

छोड़ शहर की रौनक,जिसके

गाँव में बसते प्राण।

जिसकी पावन धरती ने है

जने वीर संतान।

जिसकी गौरव-गाथा का

करे विश्व गुणगान।



है देशों में वो देश महान।

अपना प्यारा हिन्दुस्तान।।



सूरत से भी ज़्यादा उनकी

होती सीरत प्यारी।

हृदय में जिनके बहती है

करुणा जग की सारी।

वक़्त पड़े तो रणभूमि में

जौहर दिखलाती नारी।



अत्याचार को देख के जिनके

दिल में उठता है तूफ़ान।।



राजतंत्र को मिटा जिन्होंने

गणतंत्र हमें…

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Added by जयनित कुमार मेहता on December 13, 2015 at 9:30pm — 6 Comments

दो घड़ी करके तो सुहबत देखना (ग़ज़ल)

2122 2122 212



लाएगी इक दिन क़यामत,देखना..

जानलेवा है सियासत, देखना..



काम मुश्किल है बहुत संसार में,

दुसरे इंसाँ की बरकत देखना..



देख लेना खूँ-पसीना भी, अगर

आलिशाँ कोई इमारत देखना..



झाँक कर मेरी निगाहों में कभी,

आपसे कितनी है चाहत, देखना..



देखना हो गर खुदा का अक्स,तो

छोटे बच्चे की शरारत देखना..



'जय' न सिखला दे मुहब्बत,फिर कहो

दो घड़ी करके तो सुहबत देखना..

______________________________…

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Added by जयनित कुमार मेहता on December 7, 2015 at 2:30pm — 12 Comments

हाल न हमसे पूछो (ग़ज़ल)

2122   1122   1122   22

किसको कितना है मिला माल,न हमसे पूछो।

हाँ!  करप्शन  का  ये  जंजाल न  हमसे पूछो।

तेरे  कारण  हुई  है, ये  जो  मेरी  हालत  है,

अब  तुम्हीं  आके  मेरा  हाल  न  हमसे  पूछो।

ज़ेह्न-ओ-दिल से तेरी यादों को मिटा डाला,अब

बीते  दिन, गुज़रे  हुए  साल  न  हमसे  पूछो।

कौन आख़िर ले गया गाँव की पंचायत को,

कहाँ  ग़ायब  हुए  चौपाल, न  हमसे  पूछो।

जनवरी और दिसंबर के महीने में…

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Added by जयनित कुमार मेहता on December 4, 2015 at 8:30pm — 17 Comments

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