For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

PHOOL SINGH's Blog – December 2019 Archive (3)

दंगाइयो से मेरी विनती

क्या तुम्हारा जमीर ना जागता

क्यों घायल किसी को करते हो

पुलिस वाले भी अपने भाई-बंधु

पत्थर उनको क्यूँ मारते हो ||

 

विरोध करना, विरोध करो तुम

संविधान अधिकार ये देता है

उपद्रव ना मचाने की

हिदायत भी संविधान हमारा देता है ||



उपद्रव का ना मार्ग चुनो

शांति से विरोध करो

पुलिस करती रखवाली हमारी

उस पर बेवजह ना वार करो ||



दिन रात करती हमारी…

Continue

Added by PHOOL SINGH on December 26, 2019 at 3:21pm — 4 Comments

एक भिखारिन की वेदना

जाने कैसी विडम्बना जीवन की

जो इस दशा आ गिरी

ना कोई हमदर्द अपना

ना ही मेरा साथी कोई, ना किसी ने वेदना सुनी ||  

 

आते-जाते सब देखते

मिलता ना अब तक बिरला कोई

मेरी सुने कभी अपनी सुनाये

आत्मीयता से मिले कभी ||

 

ना क्षुधा मुझे किसी के धन की

ना लोभ भी मन में कोई

कहीं पड़ा मिल जाता पाथेय

उससे अपना पेट भरी ||

 

आमूल तक मै टूट चुकी

महि मुझको कोष रही

व्रजपात…

Continue

Added by PHOOL SINGH on December 24, 2019 at 12:56pm — 1 Comment

एक पागल की आत्म गाथा

दुनियाँ कहे मै पागल हूँ

मै कहता पागल नहीं, बस घायल हूँ

कभी व्यंग्य, कभी आक्षेप को

खुद पर रोज मैं सहता, अपनी व्यथा किसे सुनाऊ

कितनी चोटों से घायल हूँ

जीने की मै कोशिश करता, मै इस समाज की रंगत हूँ ||

 

क्यूँ पागल मै कैसे हुआ

पुंछने वाला ना हमदर्द मिला, जो मिला वो ताने कसता  

देख उसे अब मै हँसता हूँ

पल भर में ये वक़्त बदलता

कौन जाने, तेरा आने वाला कल मै ही हूँ

 कितनी चोटों से घायल हूँ ||

 

कोई प्रेम…

Continue

Added by PHOOL SINGH on December 6, 2019 at 4:30pm — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service