फूल बिना भौंरे का जीवन , जग में है कितना लाचार । |
जब बाग वन कहीं खिले कली , आ जाये बिकल बेकरार । |
रंग रूप ना दूरी देखे , नैनों से करता इजहार । |
खार वार कुछ भी ना देखे , जोश में आये बार… |
Added by Shyam Narain Verma on December 30, 2015 at 12:30pm — 1 Comment
लावनी छंद |
नारी की असीम ताक़त है , मिट्टी को करती सोना |
जंगल में मंगल कर देती , सारे रश्मों को ढोना |
बनती बेटी ससुराल बहू , माँ को छोड पड़े रोना |
अजनवी घर अपना बनाती , हर सुख दुःख पड़े ढोना |
नारी जीवन की धारा है , साथ साथ साथ निभाती |
खुशी खुशी बच्चों को पाले , सबके संग घर चलाती |
घरनी बिन घर सूना लागे , जब छोड़ मायके जाती |
आये जब घर आँगन खिलता , जीवन में खुशियाँ लाती |
पति जाये जब गलत राह पर , विनय कर उसे समझाती |
पर अपने को अबला समझे…
Added by Shyam Narain Verma on December 12, 2015 at 6:00pm — 2 Comments
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