For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अरुन 'अनन्त''s Blog – December 2012 Archive (13)

दिल जरा कमजोर है

हाँथ तेरे सौंप दी अब जिंदगी की डोर है,

जानके मत तोड़ना तुम दिल जरा कमजोर है,

भूलना है भूल जाना, गैर तुम मुझको समझ,

प्रेम में बंधन नहीं, ताकत न कोई जोर है,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 27, 2012 at 3:30pm — 6 Comments

कुण्डलिया एक प्रयास

आदरणीय श्री अरुण कुमार निगम सर के द्वारा संशोधित की गई कुण्डलिया आप सभी के समक्ष सादर पेश कर रहा हूँ कृपया स्वीकारें .

सोवत जागत हर पिता, करता रहता जाप,

रखना बिटिया को सुखी, हे नारायण आप

हे नारायण आप , कृपा अपनी बरसाना

मिले मान सम्मान,मिले ससुराल सुहाना

बीते जीवन…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 27, 2012 at 11:58am — 10 Comments

इसी देश की धरती पे थे, जन्मे स्वयं विधाता

यही देश था वीरों की, गाता अद्भुत गाथा,

इसी देश की धरती पे थे, जन्मे स्वयं विधाता,



कभी यहाँ प्रेम -सभ्यता, की भी बात निराली,

आज यहाँ प्रणाम नमस्ते, से आगे है गाली,

इक मसीहा नहीं बचा है, कौन करे रखवाली,

शहरों में तब्दील हो रही, प्रकृति की…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 23, 2012 at 11:43am — 10 Comments

उठे दर्द जब - उमड़े समंदर

लगी आग जलके, हुआ राख मंजर,

जुबां सुर्ख मेरी, निगाहें सरोवर,

लुटा चैन मेरा, गई नींद मेरी,

मुहब्बत दिखाए, दिनों रात तेवर,

सुबह दोपहर हर घड़ी शाम हरपल,

रही याद तेरी हमेशा धरोहर,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 21, 2012 at 11:09am — 12 Comments

लड़खड़ाते पांव मेरे - जबकि मैं पीता नहीं

याद में तेरी जिऊँ, मैं आज में जीता नहीं,

लड़खड़ाते पांव मेरे, जबकि मैं पीता नहीं,

नाज़ नखरे रख रखें हैं, आज भी संभाल के,

मैं नहीं इतिहास फिरभी, सार या गीता नहीं,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 16, 2012 at 12:59pm — 10 Comments

जिंदगी भर - ग़ज़ल

टूटता ये दिल रहा है जिंदगी भर,

दर्द भी हासिल रहा है जिंदगी भर,

अधमरा हर बार जिन्दा छोड़ देना,

मारता तिल-2 रहा है जिंदगी भर,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 15, 2012 at 11:07am — 14 Comments

बूढ़े बाबा की दीवानी

मोटी - मोटी चादर तानी,

फिर भी भीतर घुसकर मानी,

जाड़े की जारी मनमानी,

बूढ़े बाबा की दीवानी,

दादा - दादी,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 14, 2012 at 11:24am — 16 Comments

चाह है उसकी मुझे पागल बनाये

चाह है उसकी मुझे पागल बनाये,

बेवजह उड़ता हुआ बादल बनाये,

 

लोग देखेंगे जमीं से आसमां तक,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 12, 2012 at 6:05pm — 8 Comments

दोहे - प्रथम प्रयास

आदरणीय प्राची जी के कहने और भ्राताश्री अम्बरीश जी के द्वारा दिए गए दोहों के नियमों को पालन करते हुए, दोहे लिखने का मेरा प्रथम प्रयास है आप सभी को सादर समर्पित आप सभी के सहयोग की आकांक्षा लिए अरुन शर्मा.

 

आनन फानन में किया, दोहों का…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 12, 2012 at 11:05am — 8 Comments

कुछ हाइकु

आदरेया प्राची जी के द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए मैंने फिर कुछ हाइकु लिखने का प्रयास किया है, आशा करता हूँ की आप सभी मार्गदर्शन करेंगे.

 …

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2012 at 11:00am — 8 Comments

प्यार से तस्वीर मेरी - पोंछना आंसू बहाके

प्यार से तस्वीर मेरी, पोंछना आंसू बहाके।

शीश खटिये पे टिकाकर, सोंचना आंसू बहाके।।

 …

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2012 at 3:06pm — 16 Comments

ग़ज़ल

दिन कहीं छुप खो गया है, रात भी बाकी नहीं।

मुश्किलें हैं हर कदम पर, बात बन पाती नहीं।।

 …

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2012 at 1:26pm — 14 Comments

हाइकु

ओ. बी. ओ. के सभी गुरुजनों, मित्रों एवं पाठकों को मेरा विन्रम प्रणाम. आज ओ. बी. ओ. पर काफी दिनों के बाद मेरा आना हुआ है. और ऐसा महसूस हो रहा है कि एक भूला-भटका राही अपने खुशहाल घर वापस आ गया, जहाँ बड़ों का आशीष है, स्नेह है, सहयोग है और कदम- 2 पर साथ है. हाइकु लिखने की पहली कोशिश है मालुम नहीं ठीक है या गलत, आशा करता हूँ कि आप सब मार्गदर्शन अवश्य करेंगे.



सादर

अरुन शर्मा

पराया धन

बढ़ाता परेशानी

मन में चिंता



बुरी नज़र

जलाती तिल…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2012 at 11:30am — 12 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
May 31
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
May 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service