फाइलातुन -मफाइलुन -फेलुन
उनके चेहरे पे जो नज़र जाए |
मुस्तक़िल वो वहीं ठहर जाए |
उसपे तुमने उठा लिया खंजर
एक मुस्कान से जो मर जाए |
मैकदा है इधर नज़र है उधर
कोई जाए तो अब किधर जाए |
इक परिंदा भी जा सके न जहाँ
कौन लेकर वहाँ खबर जाए |
बात है देश की हिफ़ाज़त की
क्या गरज है हमारा सर जाए |
जो जबां कर सके न उल्फ़त में
काम वो इक निगाह कर जाए |
पानी पानी घटाएँ…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on November 23, 2016 at 9:30pm — 14 Comments
ग़ज़ल
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212 -212 -2121 /212
उसपे वारा है जीवन तमाम ।
जिस में मौजूद हैं फ़न तमाम ।
सख़्त लहजे का अंजाम है
हो गए तुझ से बद ज़न तमाम ।
उनको देखूंगा जब तक नहीं
दिल की होगी न धड़कन तमाम।
अबतो आ जाओ बन कर बहार
उजड़ा उजड़ा है गुलशन तमाम ।
किस को सौंपें क़यादत भला
रहबरों में हैं रहज़न तमाम ।
पूछना है तो बिजली से पूछ
किस ने फूंके नशेमन तमाम ।
इश्क़ तस्दीक़ आसाँ…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on November 20, 2016 at 2:25pm — 10 Comments
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