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Devendra Pandey's Blog – October 2013 Archive (2)

दिगपाल छंद

(दिगपाल छंद विधान:- यह छंद 24 मात्रायों का, जिसमें 12 -12 में यति के साथ चरण पूर्ण होता है)

तजि अधर्म,कर्म,सुधर्म कर,
गीता तुझे बताए I 
हों शुद्ध,बुद्ध,प्रबुद्ध सब,
निज धर्म को न भुलाए I I 

धर नव नीव स्वधर्म की,
शिव ही सत्य मानिए I 
छोड़ सकल लोभ मोह,
ऒम ही सर्व जानिए I I

मौलिक व अप्रकाशित

Added by Devendra Pandey on October 26, 2013 at 3:00pm — 18 Comments

-गीत

प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ

जग से नाता तोड़ चला हूँ,मैं

जग से नाता तोड़ चला हूँ

प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ

उनसे मिलन की, आस लिए

अंधरों बड़ी प्यास, लिए

दर बदर मैं, भटक रहा हूँ, हाँ

दर बदर मैं, भटक रहा हूँ

प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ

आएगी कब वह, रात सुहानी

होंगी जब वो,मेरी दीवानी

रात और दिन यही, सोच रहा हूँ, मैं

रात और दिन यही, सोच रहा हूँ

प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ

हर…

Continue

Added by Devendra Pandey on October 11, 2013 at 3:30pm — 9 Comments

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