For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

PHOOL SINGH's Blog – September 2012 Archive (5)

कौन अपना कौन पराया

 

कौन अपने है कौन पराये

बात हमे ये

भ्रमित और झकजोर

क्यूँ जाए

विरह के जब

मेघ मंडराए

एकल बैठ के

हम अश्रु बहाए          

वेदना ने

बेहाल किया जब            

असहाए तब

स्वयं को पाए

जग की रीत

है बड़ी पुरानी

हर पीड़ित की

यही कहानी

व्यथा दे जब

हमें सताये

समक्ष स्वयं के

कोई न पाए

जीवन देता

सबक सिखायें

सत्य का तब

बोध करायें

अपना…

Continue

Added by PHOOL SINGH on September 26, 2012 at 12:07pm — 2 Comments

दिल्ली का हाल

दिल्ली का तुम हाल तो देखो

सरकार की,

जनता को दी

सौगात तो देखो

एक ओर है बढ़ी मंहगाई

उस पर फिर भ्रष्टाचार

की मार तो देखो

बिजली ने जो हल्ला बोला

छीन गया सबका

मुहँ निवाला

हो गया फिर डीजल,

पेट्रोल भी महँगा

सबके घर का

बजट बिगाड़ा,

केरोसीन फ्री जो

दिल्ली किया है

महँगा फिर

एल पी जी किया है

जोर का झटका

होले दिया है

सारी जनता को

बेहाल किया है

ऐसा तौहफा…

Continue

Added by PHOOL SINGH on September 24, 2012 at 5:37pm — 3 Comments

वक़्त

वक़्त भी क्या चीज है यारों

हर ओर हकूमत, इसकी छाई है

कही छाया है मातम की

तो कहीं बजी शहनाई है l



गिरगिट सा है रंग बदलता

हर्षित, भयभीत, भ्रमित कर

परिचय जग को अपना देता

रंक से राजा पल में बनता

वक़्त जिस पर मेहरबान हुआ

क्षणभर भी न टिकता जग में

काल का भयंकर जब वार हुआ



रावण राजा बड़ा निराला

अहं स्वयं के शिकार हुआ

क्षण भर में परलोक सिधारा

दुस्साहस जब वक़्त से

टकराने का था उसने किया

ग्रसित करता पलभर में…

Continue

Added by PHOOL SINGH on September 4, 2012 at 10:00am — 8 Comments

सब नश्वर है

सब कुछ जग में है, नश्वर

एक ही सबका हैं, ईश्वर

हिन्दू ,मुश्लिम, सिख, ईसाई

अनेक धर्मो में बट गया जग

फिर भी मन में है, भटकन l

सच जीवन का दर्पण है                    

वेद पुराण में वर्णन है

समाहित कर जग कल्याण को

गीता जग में उपस्थित है

मन में फिर क्यूँ भटकन है l

कभी खिलखिला हँसता जब

ओरो को दुःख देकर

कभी असहाय बन

खुद रोता तड़प तड़प कर

कृत्य अपने स्मरण कर  l

रात्रि गुजारता करवटे बदल

कभी…

Continue

Added by PHOOL SINGH on September 3, 2012 at 11:13am — 8 Comments

इन्सान की जिंदगी

 

इन्सान की जिंदगी भी

क्या जिंदगी है

पल में गम,

और क्षण में ख़ुशी है

कभी संघर्ष का दौर तो

कभी मस्ती भरी है

 

कभी अपने पराये तो

पराये अपने है

जिसको ख़ुशी दी

उसी ने दिल दुखायें है

फिर भी लोगो ने देखो

बंधन हर निभाए है

कभी सपने सजोंये और

कभी ख़ुशी के दीप जलाये है

 

विरह वेदना से छुड़ा

अनुभूति वक़्त दे जाती है

हर्ष उल्लास के गीत सुना

दुःख से मुक्त कराती…

Continue

Added by PHOOL SINGH on September 1, 2012 at 12:18pm — 13 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
48 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
3 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service