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Naveen Mani Tripathi's Blog – August 2021 Archive (1)

ग़ज़ल

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हैं मुन्तज़िर मेरे अहबाब देखने के लिए ।

जमीं पे उतरेगा महताब देखने के लिए ।।1

न जाने कैसा नशा है तुम्हारी सूरत में ।

सुना है रिन्द हैं बेताब देखने के लिए ।।2

तू अपनी तिश्नगी पे यार आज काबू रख ।

मिलेंगे और भी ज़हराब देखने के लिए ।।3

बहेंगे आप भी दरिया ए अश्क़ में इक दिन ।

अगर यूँ आएंगे शैलाब देखने के लिए ।।4

कुछ इस तरह से ख़ुदा ने नसीब बख़्शा है ।

हमें मिला ही…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on August 29, 2021 at 8:52am — 4 Comments

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