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Amod Kumar Srivastava's Blog – July 2014 Archive (2)

डायरी और उसके पन्ने ...

धूल में दबी हुयी ये डायरी

जिसकी एक एक परत की हैं ये यादें

हर एक सफा तुम्हारी याद है

.... न जाने कहाँ कहाँ रखा उसे

..... आलमारी मे ठूसा

..... बक्से में दबाया

.... ऊपर टाँड़ पर रखा

अटैची मे रखा ....

उसके पन्नों के रंग उतर गए

मगर लिखावट वही रही

आज भी देखकर उन सफ़ों को

और आपके उन हिसाबों को देखकर

उन हिसाबों मे हमारा भी अंश हैं

जिन्हे आज देखकर महसूस करता हूँ

उन सफ़ों पे लिखा आपका हिसाब

दूध वाले…

Continue

Added by Amod Kumar Srivastava on July 31, 2014 at 8:30pm — 10 Comments

बैठक

याद आता है 

वो अपना दो कमरे का घर 

जो दिन मे 

पहला वाला कमरा 

बन जाता था 

बैठक .... 

बड़े करीने से लगा होता था 

तख़्ता, लकड़ी वाली कुर्सी 

और टूटे हुये स्टूल पर रखा 

होता था उषा का पंखा

आलमारी मे होता था 

बड़ा सा मरफ़ी का 

रेडियो ... 

वही हमारे लिए टी0वी0 था 

सी0डी0 था और था होम थियेटर 

कूदते फुदकते हुये 

कभी कुर्सी पर बैठना 

कभी तख्ते पर चढ़ना 

पापा की गोद मे मचलना…

Continue

Added by Amod Kumar Srivastava on July 28, 2014 at 10:06pm — 11 Comments

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