“मेरे ग्रैंड फादर राय बहादुर थे” ..... उस व्यक्ति ने बुद्धिजीवियों की सभा में अकड़ के साथ यह बात कही । सभा के आयोजक ने भी गर्व से अपना सर ऊंचा कर लिया । वहाँ उपस्थित लोग जो उस व्यक्ति को मिल रहे विशेष सम्मान, तवज्जो , उसके समृद्ध पहनावे एवं उसकी मंहगी गाड़ी से पहले ही नतमस्तक हो रहे थे, यह सुनकर थोड़े और विनीत भाव दिखलाने लगे। उसे मंच पर सबसे ऊंची कुर्सी दी गयी । सब उसके साथ एक फोटो खिचवा लेना चाहते थे । महेश सभा में सबसे पीछे की कुर्सी पर उपेक्षित सा बैठा अपने मलिन कपड़ों को देख रहा था। वह…
ContinueAdded by Neeraj Neer on June 28, 2015 at 6:25pm — 22 Comments
रात रानी क्यों नहीं खिलती हो तुम
भरी दुपहरी में
जब किसान बोता है
मिट्टी में स्वेद बूंद और
धरा ठहरती है उम्मीद से
जब श्रमिक बोझ उठाये
एक होता है
ईट और गारों के साथ
शहर की अंधी गलियों में
जहां हवा भी भूल जाती है रास्ता ।
तुम्हारी ताजा महक
भर सकती है उनमें उमंग
मिटा सकती है उनकी थकान
दे सकती है उत्साह के कुछ पल
कड़ी धूप का अहसास कम हो सकता है ।
पर तुम महकते हो रात में
जब किसान और श्रमिक
अंधेरे की चादर ओढ़े…
Added by Neeraj Neer on June 20, 2015 at 8:11pm — 8 Comments
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