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Amod Kumar Srivastava's Blog – May 2013 Archive (2)

जिंदगी

जिंदगी

दर्द है या गम,

कि है नीरस सावन,

या कागज कोरा..

जाती हुयी शाम को ..

आती हुयी रात को ..

खिलखिलाती वो हंसी को,

पंक्षियों के कोलाहल को...

उसको है…

Continue

Added by Amod Kumar Srivastava on May 27, 2013 at 4:30pm — 7 Comments

दरख्त

जाओ तुमको तुम्हारे हाल पे

मेने छोड़ दिया

तुमको इससे ज्यादा में और

दे भी क्या सकता था ...

देखो इस सूखे दरख्त को जिसने

बहुत फल खिलाये थे .. पर…

आज यहाँ परिंदा भी अपना

घोसला नहीं बनाता…

Continue

Added by Amod Kumar Srivastava on May 9, 2013 at 12:08pm — 6 Comments

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