झमाझम गिरे बारिश , राहत मिला मिली तपन से | |
लू का घेरा बंद हुआ , मलय शीतल पवन से | |
आँखों में पड़े ना धूल , कीचड से पाँव… |
Added by Shyam Narain Verma on May 31, 2013 at 4:00pm — 3 Comments
मानव जब दानव बन जाता , खो देता आचार विचार | |
घूमता है जानवर जैसे , कुछ भी समझाये परिवार | |
जान की परवाह ना करता , भूल जाता भरा संसार | |
पाप का घडा जब भरता है , कोई ना मिले… |
Added by Shyam Narain Verma on May 25, 2013 at 11:50am — 2 Comments
जब कली ही मुरझाने लगी , फूल कहाँ से आयेगा | |
फिर निर्जन विरान मरूस्थल में , फूल कहाँ से लायेगा | |
सब तोड़ते रहेंगे कली , पौधा कौन बनाएगा | |
वो दिन भी ऐसा आयेगा , जब गुलशन… |
Added by Shyam Narain Verma on May 14, 2013 at 4:23pm — 7 Comments
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