For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Satish mapatpuri's Blog – April 2012 Archive (5)

ज़िन्दगी खुद में ही तो एक जंग का एलान है.

ज़िन्दों और परिंदों का बस एक ही पहचान है.
ना ही थकना, ना ही रुकना बस और बस उड़ान है.
एक जगह जो रुक गया तो रुक गया उसका सफ़र.
इसलिए ही अब तो मंजिल रोज़ एक मुकाम है.
कौन कहता है जहां में ज़िंदा रहना है कठिन.
आदमी में है ही क्या एक जिस्म और एक जान है.
मौसमे बारिश गिरा देता है कितने आशियाँ .
हिम्मते मरदा है जो कि हर तरफ मकान है.
ज़िन्दगी में जंग ना तो क्या मज़ा मापतपुरी.
ज़िन्दगी खुद में ही तो एक जंग का एलान है.
          ----- सतीश मापतपुरी

Added by satish mapatpuri on April 23, 2012 at 3:58am — 10 Comments

बच्चों की फरियाद



बंजर धरती दूषित हवा - जल, जंगल कटते जायेंगे.

 ज़ख़्मी पर्यावरण आपसे , क्या हम बच्चे पायेंगे.

हरी - भरी धरती को आपने, बिन सोचे वीरान किया.

मतलब की खातिर ही आपने, वन - जंगल सुनसान किया.

नहीं बचेगा इन्सां भी, गर जीव - जंतु मिट जायेंगे.

ज़ख़्मी पर्यावरण आपसे , क्या हम बच्चे पायेंगे.

ऐसे पर्यावरण में कैसे, कोई राष्ट्र विकास करेगा.

अब भी गर बेखबर रहे तो, माफ नहीं इतिहास करेगा.

रहते समय नहीं चेते तो, कर मलते रह जायेंगे.

ज़ख़्मी पर्यावरण आपसे , क्या हम…

Continue

Added by satish mapatpuri on April 22, 2012 at 2:45am — 7 Comments

जहाँ गंगा जैसी सरिता है

 असंख्य घड़े को जल देकर भी, तेरा कोष न रीता  है.
धन्य - धन्य वह भारत है , जहाँ गंगा जैसी सरिता है.
तू सदैव निःस्वार्थ भाव से, हिंद - भूमि को सींचा है.
श्यामा के अभिराम वक्ष पर, लक्ष्मण - रेखा खींचा है.
भारत की मर्यादा की, यह रेखा एक निशानी है.
शहीदों की कुर्बानी की, यह रेखा एक कहानी है.
तेरी लहरों में…
Continue

Added by satish mapatpuri on April 14, 2012 at 7:30pm — 9 Comments

मेरी कलम ने तुम्हें , महबूबा बनाया है .

 

जान ले लेगा वो तिल, लब पे जो बनाया है .

मेरी कलम ने तुम्हें , महबूबा बनाया है .

मुस्कुराती हो जब तो गालों पे, जानलेवा भंवर सा बनता है.

खोलती हो अदा से जब पलकें , झील में दो कँवल सा खिलता है.

साथ जिसको नहीं मिला तेरा, क्यों यहाँ ज़िन्दगी गंवाया है.

मेरी कलम ने तुम्हें , महबूबा बनाया है .

हुस्न की देवी तेरे ही दम से, खिलते हैं फूल दिल के गुलशन में.

देखकर तुमको ही ये हुरे ज़मीं , पलते हैं इश्क दिल की धड़कन में.

हर कोई देखता है तुमको ही, रब…

Continue

Added by satish mapatpuri on April 11, 2012 at 12:42am — 11 Comments

मेरे गीतों को होठों से छू लो जरा

 

ज़ुल्फ बिखरा के छत पे ना आया करो , आसमाँ भी ज़मीं पर उतर आयेगा.

वक़्त बे वक़्त यूँ ना लो अंगड़ाइयां, देखने वाला बेमौत मर जायेगा.

                     होंठ तेरे गुलाबी ,शराबी नयन.

                    संगमरमर सा उजला है , तेरा बदन.

रूप यूँ ना सजाया - संवारा करो, टूट कर आईना भी बिखर जायेगा.

ज़ुल्फ बिखरा के छत पे ना आया करो , आसमाँ भी ज़मीं पर उतर आयेगा.

                     सारी दुनिया ही तुम पर, मेहरबान है.

                      देख तुमको…

Continue

Added by satish mapatpuri on April 5, 2012 at 6:58pm — 13 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
12 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service