लहरे कहतीं हैं लहराकर, आगे बढ़ते जाना है |
अथक मेहनत और लगन से, हमको मंजिल पाना है |
कितना भी दूर रहे मंजिल, करीब होगा जाने से |
ऐसे कुछ ना मिलने वाला, हार कर बैठ जाने से |
सोते शेर के मुँह में भी, शिकार खुद ना जाएगा |
कभी ना कभी मिलेगी मंजिल, जो पसीना बहायेगा |…
Added by Shyam Narain Verma on March 5, 2013 at 12:30pm — 1 Comment
अब रंग रंग के फूल खिले हैं,
मेहनत कर रहा माली |
बरसों से था आस लगाये,
रब कब महकेगी डाली |
तड़के उठ कर बाग़ सजाये,
आ जाती है घर वाली |
हरा भरा है बाग़ सुहावन,
देख मनाएं खुशिहाली…
ContinueAdded by Shyam Narain Verma on March 1, 2013 at 5:30pm — 5 Comments
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