ग़ज़ल (दिल ने जिसे बना लिया गुलफाम दोस्तो)
(मफ ऊल _फाइ लात _मफा ईल _फाइ लुन)
दिल ने जिसे बना लिया गुलफाम दोस्तो l
उसने दिया फरेबी का इल्ज़ाम दोस्तो l
मैं ने खिलाफे ज़ुल्म जुबां अपनी खोल दी
अब चाहे कुछ भी हो मेरा अंजाम दोस्तो l
दिल को अलम जिगर को तड़प अश्क आँख को
मुझ को दिए ये इश्क़ ने इनआम दोस्तो l
लाए हैं अंजुमन में किसी अजनबी को वह
दिल में न यूँ उठा मेरे कुहराम दोस्तो l
सच्चा है यार वो उसे पहचान…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on January 17, 2019 at 3:57pm — 12 Comments
(मफा इलुन _फ़ इ ला तुन _मफा इलुन _फ़े लुन)
यूँ ही धुआँ न अचानक उठा है गुलशन में l
लगी है आग यक़ी नन किसी नशे मन में l
मुझे है ग़म यही उन पर शबाब आते ही
मिलें न वैसे वो मिलते थे जैसे बचपन में l
न मैं सुकून से हूँ और न चैन से हो तुम
ये कैसी खींच ली दीवार हम ने आँगन में l
सितम भी ढाए तो वो मुस्कुरा के ही ढाए
यही तो ख़ास है फितरत हमारे दुश्मन में l
रखें या तोड़ दें बोलें ही सच हमेशा ये
मिले ये…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on January 5, 2019 at 1:00pm — 12 Comments
ग़ज़ल (रब से कीजिए दुआएं नए साल में)
(फाइ लुन _फाइ लुन _फाइ लुन _फाइ लुन _)
रब से कीजिए दुआएं नए साल में l
अच्छे दिन लौट आएँ नए साल में l
पास आएं न आएं नए साल में l
पर न हम को भुलाएं नए साल में l
जिन अज़ी ज़ों ने उनको किया बद गुमां
उनको मत मुँह लगाएँ नए साल में l
उस पे फिरक़ा परस्तों की है बद नजर
भाई चारा बचाएँ नए साल में l
इम्तहाने वफ़ा तो बहुत हो चुके
और मत आज़मा एँ नए साल में…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on January 1, 2019 at 12:28pm — 10 Comments
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