आदरणीय Open Books on-line पर मेरी यह पंक्तियाँ अशुद्ध घोषित की गईं - बताया गया कि व्यवहारिक शब्द गलत है- इसके स्थान पर व्यावहारिक होना चाहिए- इस प्रकार से मात्राओं की गणना को गलत बताकर मेरी मौलिक…Continue
Started this discussion. Last reply by Saurabh Pandey Jan 29, 2013.
पाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक |
वली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |
सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |
जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||
मौलिक / अप्रकाशित
वली-वलीमुख = राम जी / हनुमान जी
पावली=चवन्नी
गावदी = मूर्ख / अबोध
Posted on November 3, 2013 at 9:00am — 13 Comments
सीमांकन दूजा करे, मर्यादा सिखलाय |
पहला परवश होय तब, हृदय देह अकुलाय |
हृदय देह अकुलाय, लगें रिश्ते बेमानी |
रविकर पानीदार, उतर जाता पर पानी |
यह परिणय सम्बन्ध, पके नित धीमा धीमा |
करिए स्वत: प्रबन्ध, अन्य क्यूँ पारे सीमा -
मौलिक / अप्रकाशित
(दुर्गा-पूजा / विजयादशमी की मंगल-कामनाएं )
Posted on October 10, 2013 at 4:00pm — 11 Comments
(1)
बचपन तब का और था, अब का बचपन और |
दादी की गोदी मिली, नानी हाथों कौर |
नानी हाथों कौर, दौर वह मस्ती वाला |
लेकिन बचपन आज, निकाले स्वयं दिवाला |
आया की है गोद, भोग पैकट में छप्पन |
कंप्यूटर के गेम, कैद में बीते बचपन ||
(2)
संशोधित रूप-
तब का बचपन और था, अब का बचपन और |
तब दादी गोदी मिली, नानी से दो कौर |
नानी से दो कौर, दौर वह मस्ती वाला |
लेकिन बचपन आज, महज दिखता दो साला…
Posted on October 9, 2013 at 9:00am — 15 Comments
दुर्मिल सवैया
पुरबी उर-*उंचन खोल गई, खुट खाट खड़ी मन खिन्न हुआ |
कुछ मत्कुण मच्छर काट रहे तन रेंगत जूँ इक कान छुआ |
भडकावत रेंग गया जब ये दिल मांगत मोर सदैव मुआ |
फिर नारि सुलोचन ब्याह लियो शुभचिंतक मांगत किन्तु दुआ |
उंचन=खटिया कसने वाली रस्सी , उरदावन
मत्कुण=खटमल
अप्रकाशित / मौलिक
Posted on October 8, 2013 at 4:00pm — 6 Comments
रविकर भाई - सप्रेम राधे-राधे ॥********* टला फैसला दस दफा, लगी दफाएँ बीस | सभी पंक्तियों में तीखा व्यंग्य है-- बधाई
स्वागत है मित्र !!
जन्म दिवस की ढेरो बधाई और शुभकामनाएं आदरणीय ...
जन्म दिन की हार्दिक बधाई भाई श्री रविकर जी | प्रभु आपको घर परिवार, समाज और राष्ट्र की
प्रगति में योगदान हेतु स्वस्थ व् सक्षम बनाए रखे | आपका हमारा स्नेह बना रहे |
आदरणीय रविकर जी,
महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर आपको हार्दिक बधाई! आपके मार्गदर्शन की हम सबको सतत आवश्यकता है।
सादर!
आदरनीय गुरुदेव ..आपके छंदों के तो सभी कायल हैं....आपकी सृजनशीलता को नमन ...महीने का सक्रीय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई ...सादर प्रणाम के साथ ...कभी बभनान आईये
रविवर रविसम भौर से,अनुपम सा उपहार
साँस साँस की हर लड़ी, स्वीकारे आभार |
व्यस्त समय से कुछ घडी, दे मित्रो को आप
मित्रो के सानिध्य में, सतत बहे रसधार |
-लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला
छंद विधा के सुविज्ञ रचनाकार श्री रविकर जी को महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनायें ! भारतीय छंद विधान और पौराणिक कथानकों के प्रति आपकी अभिरुचि और आपके रचनाकर्म में उन्हें स्थान को शत शत नमन है !!
सर महीने का सक्रीय सदस्य सम्मान के लिए बधाई.........
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