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वो लम्हे विरह गीत न बन जाये
लौट आओ साजन सावन के पहले
पपिहा पीऊ पीऊ आवाज लगाये
पेडो पर पड गये झुले
कजरी लागे मोहे सौतन
बदरा की बुन्दे जलये तन मन
लगी है प्रित मेरी अब अशुअन से
लौट आओ साजन सावन के पहले
जोगन न बन जाये कही ये बिरहन
लौट आओ साजन सावन के पहले
मुख मलिन , जैसे काली बदरिया
पनघट पे ना रिझाये कोइ सवरिया
सुनी सुनी पडी है पुरी डगरिया
आंगन सुना, सुना भयॊ मेरे मन का…
ContinuePosted on May 14, 2016 at 7:30pm — 3 Comments
जब मेरे ही पूजित पाषाण ने
मेरा उपहास किया,
तब मन मे बैराग्य हुआ
जब पुल्लवित बसंत मे,
फ़ूलो ने भवरो का हास किया
तब मन मे बैराग्य हुआ
…
ContinuePosted on May 4, 2016 at 11:05pm — 6 Comments
जीवन तुझसे एक वर माँगू
पाप पुण्य से दूर
जीवन की समझ माँगू
एकाकी अगर सत्य हो तो
तथागत बनने का वर माँगू
आवेश ही एक मात्र मार्ग हो तो
दुर्योधन का आवेश पाऊँ
क्षमा ही ध्येय हो तो
युधिष्ठिर का मन पाऊँ
समर्पण ही अगर सत्य हो तो
समर्पण की धुरी पर जो कर्ण पिसा
मैं भी समर्पित हूँ
उपेक्षा अगर सत्य हो तो
एकलव्य सा ध्यान…
ContinuePosted on May 30, 2012 at 9:30pm — 18 Comments
प्रियतम जब से मैंने प्रेम का आवाहन किया
करुण वेदना , विरह अश्रु , और मौन ने मेरा श्रृंगार किया
कितनी संवेदना ,कितनी आह
कितने अश्रु , कितनी चाह
कितने आलाप , कितने गान
मिल कर भी
संतॄप्त न कर पाती
उर अरमनों में छिपे स्पंदन को,
प्रियतम जब से मैंने प्रेम का आवाहन किया
सावन रिक्त , शशि सुप्त
सूरज न उग्र , रौद्र नयन हैं रुष्ट
प्रियतम जब से मैंने प्रेम का आवाहन किया
करुण वेदना , विरह अश्रु , और मौन ने मेरा…
ContinuePosted on May 25, 2012 at 11:56pm — 9 Comments
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