For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीपक झा रुद्रा
Share on Facebook MySpace
  • Feature Blog Posts
  • Discussions
  • Events
  • Groups
  • Photos
  • Photo Albums
  • Videos
 

दीपक झा रुद्रा's Page

Latest Activity

दीपक झा रुद्रा left a comment for दीपक झा रुद्रा
"*छंद मुक्त रचना* कैसी विपदा अाई मुल्क में कैसी विपदा अाई मुल्क में, क्या दीपक मैं गीत लिखूं। वहशीपन ने तोड़ी गुड़िया मैं तो पापी का जीत लिखूं। प्रथम पद हाल हुई बदहाल है उनकी, जो खुद में हैं गगन समेटी । खौफ भरी आंखे है उनकी, अरे घर घर में सहमी…"
Jul 18, 2020
दीपक झा रुद्रा is now a member of Open Books Online
Jul 2, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
मधुबनी
Native Place
मधुबनी
Profession
अभियंत्रण सह लेखन
About me
अभियंता सह कवि ,शायर

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 3:08pm on July 18, 2020, दीपक झा रुद्रा said…
*छंद मुक्त रचना*

कैसी विपदा अाई मुल्क में


कैसी विपदा अाई मुल्क में,
क्या दीपक मैं गीत लिखूं।
वहशीपन ने तोड़ी गुड़िया
मैं तो पापी का जीत लिखूं।


प्रथम पद

हाल हुई बदहाल है उनकी,
जो खुद में हैं गगन समेटी ।
खौफ भरी आंखे है उनकी,
अरे घर घर में सहमी है बेटी।
इस विपदा का हल क्या होगा?
ना जाने क्या कल पल होगा!
आज है चिंता डर व्याप्त हृदय में
ना जाने कब छल बल होगा।
उनके मस्तक पर चिंता रेखा
कल जल हमने आंख में देखा
आज डर रही हमसे बेटी
तुम्हीं कहो कहो क्यों मीत लिखूं?
कैसी विपदा अाई मुल्क में,
क्या दीपक मैं गीत लिखूं।
वहशीपन ने तोड़ी गुड़िया
मैं तो पापी का जीत लिखूं।

द्वितीय पद

पाप करो फिर बचोगे कैसे,
वर्णित उपाय है संविधान में।
फेंको पैसा और देखो तमाशा
वर्णित विधान है संविधान में।
कब नव नीति गढ़ेगा दिल्ली ऐसा
कि मचे कहर शैतानी में।
अगर नहीं ऐसा कर सकते
तो डुबो चुल्लुभर पानी में।
अगर नहीं हिम्मत है तुझमें,
तो छोड़ो कुर्सी तुम सरकारों।
हाल हुआ बदहाल मुल्क का,
कारण हो तुम सब गद्दारों ।
कैसी विपदा अाई मुल्क में,
क्या दीपक मैं गीत लिखूं।
वहशीपन ने तोड़ी गुड़िया
मैं तो पापी का जीत लिखूं।

तृतीय पद

अरे सत्ता कैसे बने विरोधी
दुराचारी और पापी का।
सब सरकारे हैं प्रतिफल
घृणित कार्य संतापी का।
गुंडों के बल पर आए वो
सबलता और वो रौब जमाने।
राजनीति है खेल सरीखे
आते हैं वो दिखे दिखाने।
इनसे कोई उम्मीद नहीं है
मुझको और तू भी मत रख।
किन्तु मुझसे ना हो पाएगा
जो सत्ता के पक्ष में गीत लिखूं!
कैसी विपदा अाई मुल्क में,
क्या दीपक मैं गीत लिखूं।
वहशीपन ने तोड़ी गुड़िया
मैं तो पापी का जीत लिखूं।


दीपक झा रुद्रा
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ। हम भटकते रहे हैं…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"ग़ज़ल वो दगा दे गए महब्बत मेंलुट गए आज हम शराफत में इश्क की वो बहार बन आयेथा रिझाया हमें नफासत…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी तरही मिसरे पर आपने ख़ूब ग़ज़ल कहीं। हार्दिक बधाई। अमित जी की टिप्पणी के अनुसार बदलाव…"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, मेरा आशय है कि लिख रहा हूँ एक भाषा में और नियम लागू हों दूसरी भाषा के, तो कुछ…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"... और अमित जी ने जो बिंदु उठाया है वह अलिफ़ वस्ल के ग़लत इस्तेमाल का है, इसमें…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
".हम भटकते रहे हैं वहशत में और अपने ही दिल की वुसअत में. . याद फिर उस को छू के लौटी है वो जो शामिल…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. संजय जी,/शाम को पुन: उपस्थित होऊंगा.. फिलहाल ख़त इस ग़ज़ल का काफ़िया नहीं बनेगा ... ते और तोय का…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//चूँकि देवनागरी में लिखता हूँ, इसलिए नस्तालीक़ के नियमों की पाबंदी नहीं हो पाती है। उर्दू भाषा और…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गिरह भी अच्छी लगी है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।  6 सुझाव.... "तू मुझे दोस्त कहता है…"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service