For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार अण्ठान्बेवाँ आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

22 जून 2019 दिन शनिवार से 23 जून 2019 दिन रविवार तक
 
इस बार का छंद है - 

सार छंद

कुण्डलिया छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या दोहा-ग़ज़ल या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है.    

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगे 

सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 

22 जून 2019 दिन शनिवार से 23 जून 2019 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2557

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

छंदोत्सव में सुधिजनों का स्वागत है..

नमस्कार आदरणीय सौरभ पांडेय जी 

कुण्डलिया छंद

बिट्टू  मेरे ध्यान से,  सुन ले मेरी बात। 

दी है मेरे लट्ठ ने, बड़े बड़ों को मात।। .

बड़े बड़ों को मात.  समझ मत बुड्ढा मुझको। 

अपने सारे दाँव ,  सिखाऊँगा  मैं  तुझको।।

बिछड़े सारे यार ,आज दादू के तेरे। 

तू मत जाना दूर ,कभी भी बिट्टू मेरे।।

बिट्टू मेरे तू सदा ,देना सच का साथ।

उसको ही मत पूजना,  लाठी जिसके हाथ।।

लाठी जिसके हाथ, मित्र दुर्बल का बनना।

अच्छा बन इंसान,यही है मेरा सपना।।

कल का भारत देश , बनाना जिम्मे तेरे।

सोच समझ हर पाँव, उठाना बिट्टू मेरे।।.

बिट्टू मेरे आजकल ,मन में गड़ते  शूल। 

तेरी दादी है  गई , अब तो  मुझको भूल।।

अब तो मुझको भूल, फोन में चिपकी रहती। 

कभी उफनता दूध , कभी रोटी है जलती।।

ठंडी मिलती चाय ,आजकल रोज सवेरे। 

इस मुश्किल का तोड़ ,बता कुछ बिट्टू मेरे।।

 दादू  मेरे भेद की ,बोलूँ  तुझसे  बात। 

कल कैसे छुट्टी करूँ , सोचूँ ये हर रात।।

सोचूँ ये हर रात ,नहीं शाला है भाती। 

गुस्सा आता खूब, द्वार  जब बस है आती।।

होमवर्क का बोझ , हमेशा मन को घेरे। 

इस सब से आ दूर  ,चलें चल दादू मेरे।।

मौलिक  व  अप्रकाशित  

 

आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी कुण्डलिया के सभी पहलू रोचक भी हैं और शैल्पिक तौर पर अनुकरणीय भी हैं. चित्र के मर्म को आपने छंदों के माध्यम से बख़ूबी उभारा है.  तीसरी कुण्डलिया का कथ्य तो अत्यंत रोचक ढंग से उभर कर सामने आया है. 

दादा-पोते की बातचीत में दादा की ओर से तीन कथ्य का आना अनायास हो सकता है, परन्तु, आजके आम दादाओं को वाकई सुनने वाला कौन है ? कितने हैं ? इस हिसाब से प्रस्तुति की सभी कुण्डलियाँ मनोवैज्ञानिक ढंग से भी प्रभावकारी बन पडी है. 

हार्दिक बधाइयाँ और अशेष शुभकामनाएँ 

, रचना की सराहना व उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी//आजके आम दादाओं को वाकई सुनने वाला कौन है ? कितने हैं ? // जी सही कहा आपने। वैसे सुना दादियों को भी कम ही जाता है पर महिलायें किसी भी तरह से अपने मन की बाहर उँडेल ही देती हैं जो पुरुष सहजता से नहीं कर पाते हैं।. 

जी, सही कहा आपने.. 

मुहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते उम्द: कुण्डलिया छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी

दादा पोते में हुई, बातें हैं भरपूर

भावों का है संग जो, रहे कभी ना दूर

रहे कभी ना दूर, डोर यह होती कच्ची

सह पाती कब ठेस, भले होती है सच्ची

सतविंदर हर हाल, पकड़ का राखो मादा

बच्चों खातिर ख़ास, सदा ही दादी-दादा।

उम्दा संवाद सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया प्रतिभा दीदी, नमन सादर

छंदमय टिप्पणी के लिये हार्दिक आभार आदरणीय सतविन्दर भाई

आदरणीया प्रतिभाजी

सचमुच आपने पूरी लगन और पूरा समय देकर बड़ी सहजता से चारो कुंडलियाँ को चित्र के अनुरूप शाब्दिक किया है। हृदयतल से बधाई

आदरणीय , प्रतिभा जी , बहुत खूब वर्णन , कुण्डली छंद के माध्यम से , बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें जी |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 175 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |इस बार का…See More
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service