For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार तिहत्तरवाँ आयोजन है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

19 मई 2017 दिन शुक्रवार से 20 मई 2017 दिन शनिवार तक 

इस बार छन्दों में पुनः उन्हीं छन्दों को दुहरा रहे हैं, जिन पर पिछले आयोजन में हमने काम किया है. अर्थात,  सार छन्द और कुण्डलिया छन्द को रखा गया है.  

 

यह जानना रोचक होगा, कुण्डलिया छन्द दोहा छन्द और रोला छन्द का समुच्चय ही है !  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है. 

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.  


केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

कुण्डलिया छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

सार छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

[प्रस्तुत चित्र सोशल मीडिया के सौजन्य से]

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 19 मई 2017 दिन शुक्रवार से 20 मई 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Facebook

Views: 8524

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 73 में सुधी रचनाकर्मियों का स्वागत है

आदरणीय भाई सौरभजी आयोजन की शुभकामनाओं के साथ आपका भी स्वागत है

 

 

कुंडलिया [ प्रथम प्रस्तुति]

............................................

 

चंदू हूँ मैं प्रौढ़ भी, मारो नहीं हुजूर।

परम भक्त हनुमान का, छेड़ छाड़ से दूर॥

छेड़ छाड़ से दूर, रोमियो मुझे न कहना।

चप्पल यूँ न निकाल, बंधु मैं तेरा बहना॥

ब्रेक हो गया फेल, न समझो मुझको मंदू।

सिर पर आधा चाँद ,करो मत पूरा चंदू॥

............................................

 

सार छंद

 

माँ भारत की घूँघट वाली, पाँव पड़ूँ मैं तेरा।

सायकिल छुआ इस आँचल ने, ये दोष नहीं मेरा॥

 

सही समय पर ब्रेक लगाया, सत्य वचन कहता हूँ।

हाथ जोड़ मैं शीश झुकाऊँ, चप्पल से डरता हूँ॥

मैं बूढ़ा बदमाश नहीं हूँ, मार मुझे ना माई।

तू मेरी प्यारी बहना मैं, तेरा चंदू भाई॥

तीन रंग ट्रैफिक सिग्नल सी, साड़ी में जचती हो।

तीखे तेवर कर में चप्पल, रण चंडी लगती हो॥

 

.......................................................................................

मौलिक एवं अप्रकाशित       

 

आदरणीय अखिलेश जी आदाब,प्रदत्त चित्र का औसत रूप से शब्दांकन करती दोनों रचनाओं के लिए बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय आरिफ भाई

रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद, आभार

वाह वाह बहुत रोचक कुण्डलिया हुई है

छुआ सायकिल  इस आँचल ने,  दोष नहीं ये मेरा॥---इसे इस तरह कर लीजिये लय बेहतर होगी 

वैसे पाँव पडूँ मैं तेरे होता है --क्योंकि दोनों पाँव पड़े जाते हैं 

तीन रंग ट्रैफिक सिग्नल सी, साड़ी में जचती हो।

तीखे तेवर कर में चप्पल, रण चंडी लगती हो॥-----वाह्ह्ह 

बहुत बहुत बधाई आद० अखिलेश जी इस सुंदर प्रस्तुति से आयोजन का शुभारम्भ करने के लिए 

आजकल बहुत व्यस्त हूँ बहुत मुश्किल से नेट पर आई हूँ 

 

 

आदरणीया राजेशजी

पोस्ट करने के बाद  लगा कि प्रवाह बाधित है। .... छुआ सायकिल को आँचल ने, ये दोष नहीं  मेरा॥

लिखना सार्थक हुआ,रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद, आभार

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्त जी सर्व प्रथम आपकी प्रस्तुति रोचक लगी हार्दिक बधाई स्वीकारें |
*****

चंदू हूँ मैं प्रौढ़ भी, मारो नहीं हुजूर।

परम भक्त हनुमान का, छेड़ छाड़ से दूर॥

छेड़ छाड़ से दूर, रोमियो मुझे न कहना।

चप्पल यूँ न निकाल, *बंधु मैं तेरा बहना ) ... *इस उक्ति के लिए संशय है गुनीजन अपनी प्रतिक्रिया देगें ॥......चप्पल नहीं निकाल ,,,,, किया जा सकता है क्या ? 

ब्रेक हो गया फेल, न समझो मुझको मंदू।

सिर पर आधा चाँद ,करो मत पूरा चंदू॥

............................................

 

सार छंद

 

माँ भारत की घूँघट वाली, पाँव पड़ूँ मैं तेरा।

सायकिल छुआ इस आँचल ने, ये दोष नहीं मेरा॥....आदरणीय मुझे लय बाधित लग रही है |

 

सही समय पर ब्रेक लगाया, सत्य वचन कहता हूँ।

हाथ जोड़ मैं शीश झुकाऊँ, चप्पल से डरता हूँ॥

मैं बूढ़ा बदमाश नहीं हूँ, मार मुझे ना माई।

तू मेरी प्यारी बहना मैं, तेरा चंदू भाई॥......... हा हा हा ये लाज़वाब युग्म हुआ है वाह 

तीन रंग ट्रैफिक सिग्नल सी, साड़ी में जचती हो।... जँचती सही शब्द है 

तीखे तेवर कर में चप्पल, रण चंडी लगती हो॥....... रण चंडी के लिए एक बड़ी वाह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ! जय माँ शारदे ! 

 

आदरणीया छायाजी

चप्पल मुझे न मार 

पोस्ट करने के बाद  लगा कि प्रवाह बाधित है। .... छुआ सायकिल को आँचल ने, यह दोष नहीं  मेरा॥

जँचती सही है

लिखना सार्थक हुआ,रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद, आभार

मुहतरम जनाब अखिलेश साहिब,प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते सुंदर छंद और कुंडली हुई हैं,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें

आदरणीय तस्दीक भाई

लिखना सार्थक हुआ,रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद, आभार

आदरनीय बड़े भाई  अखिलेश जी , दोनो रचनायें चित्र के अनुरूप बहुत सुन्दर हुये हैं , बधाइयाँ स्वीकार करें । आदरनीया राजेश जी की बात मुझे भी सही लगती है ,, खयाल कीजियेगा ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ अड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"अश्रु का नेपथ्य में सत्कार भी करते रहेवाह वाह वाह ... इस मिसरे से बाहर निकल पाऊं तो ग़ज़ल पर टिप्पणी…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं

.सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं  जहाँ मक़ाम है मेरा वहाँ नहीं हूँ मैं. . ये और बात कि कल जैसी…See More
13 hours ago
Ravi Shukla posted a blog post

तरही ग़ज़ल

2122 2122 2122 212 मित्रवत प्रत्यक्ष सदव्यवहार भी करते रहेपीठ पीछे लोग मेरे वार भी करते रहेवो ग़लत…See More
13 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा अर्थ प्रेम का है इस जग में आँसू और जुदाई आह बुरा हो कृष्ण…See More
13 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service