For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 147

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ सैंतालिसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार के आयोजन के लिए दो छंद लिये गये हैं - दोहा छंद या / और सार छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

22जुलाई 2023 दिन शनिवार से 

23 जुलाई 2023 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

दोहा छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

*********************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 22 जुलाई 2023 दिन शनिवार से 23 जुलाई 2023 दिन रविवार तक ही रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए मंच खुला रहेगा.

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

Views: 1376

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर रचना। बधाई।

ठुमरी सावन गीत था, खूब... ..हुई .....मनुहार !
गिरिजा तक महफिल रही, गाती स्वर्ग सिधार !!  ...  इस दोहे की अर्थ-सत्ता अत्यंत सबल है, आदरणीय.

सही है, सावन, कजरी और गिरिजा देवी की ठुमरियों का सामुच्च्य स्वर्ग-सुख का अनुभव कराता था. 

राग रंग जीवन गया, झूले.... गाँव ....उदास !
शुभ कुछ होता है नहीं, सावन जो मलमास !!  ....... सावन में मलमास 

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, रचना-पंक्तियों की संप्रेषणीयता पर तनिक ध्यान देने से प्रस्तुतियों में और निखार आ जाएगा. आप अन्यथा न लें. यह मेरा सोचना है. 

कजरी भूली.... है प्रिया, गाती है ..... मल्हार !
अगन बदन की बुझ गई, सावन का उपहार !!  ....... हा हा हा... ऐसे उपहार की चर्चा चुहल भरी है 

हार्दिक बधाइयाँ.... शुभातिशुभ 

आ. भाई चेतन जी, चित्रानुरूप दोहों का प्रयास अच्छा है। पर कई जगह गेयता बाधित हो रही है। 

ठुमरी सावन...उत्कृष्ट दोहा हुआ है। हार्दिक बधाई।

आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर,  प्रदत्त चित्रानुसार अच्छे दोहे रचे हैं आपने. किन्तु /कौन गाये दादरा...विचारणीय है.  मल्हार ...शब्द की गणना १२१ अर्थात् चार मात्रा गिनी जाती है. इसकारण उक्त चरण में बदलाव कर लेना बेहतर होगा. सादर 

सार छंद

 

भँवर भयंकर घेरे नभ को, दिक्-दिक् बादल छाये।

वर्षा    ऋतु   का    ले    संदेशा, दौड़े-दौड़े   आये।

चपल  चंचला  की  जगमग है, फूट  रही  चिंगारी।

अधिक मास यह सावन का है, कृपा  करें त्रिपुरारी।।

*

घुप्प  अँधेरा  घिर  आया  है, दीप  जले घर-घर में।

साथ ख़ुशी के व्याप्त हो रहा, भय भी कुछ अन्तर में।

फिर     आएगी    बाढ़     भयंकर,  टूटेंगी   दीवारें।

ढाढ़स    देने    झूठा    दर    पर, आयेंगी   सरकारें।।

#

मौलिक/अप्रकाशित.

आदरणीय अशोक जी

फिर     आएगी    बाढ़     भयंकर,  टूटेंगी   दीवारें।

ढाढ़स    देने    झूठा    दर    पर, आयेंगी   सरकारें।।// वाह,   चित्र में भँवर को भी आपने सही पकड़ा। हार्दिक बधाई इस चित्रानुकूल बहुत सुन्दर सृजन के लिये।

  आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, प्रदत्त चित्र पर मेरी सार छंद की प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर 

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप उत्कृष्ट छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।

आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र पर मेरी छंद प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार. सादर 

अशोक कुमार रक्ताले जी, चित्रानुकूल सुंदर कटाक्ष भरी रचना हेतु बधाई आपको।

आदरणीय दयाराम मेठानी साहब सादर, मेरी सार छंदों की प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर 

आदरणीय अशोक भाई,

भँवर भयंकर घेरे नभ को, दिक्-दिक् बादल छाये।
वर्षा ऋतु का ले संदेशा, दौड़े-दौड़े आये। ...... चित्र को सार्थक ढंग से पारिभाषित करता इस चरण के लिए धन्यवाद. 

 

घुप्प अँधेरा घिर आया है, दीप जले घर-घर में। ... दीप ? एलईडी बल्ब या ट्य़ूब-लाइट, आदरणीय ?? .. हा हा हा ... :-))) 
साथ ख़ुशी के व्याप्त हो रहा, भय भी कुछ अन्तर में। .. साथ खुशी के व्याप रहा है, भय भी कुछ अन्तर में 

 

आपकी इस सुगढ़ प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ
शुभातिशुभ 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"उड़ने की चाह आदत भी बन जाती है।और जिन्हें उड़ना आता हो,उनके बारे में कहना ही क्या? पालो, खुद में…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service