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'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 135

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ पैंतीसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार का छंद है - शक्ति छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

23 जुलाई 2022 दिन शनिवार से 24 जुलाई 2022 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

चित्र अंर्तजाल के माध्यम से 

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो

23 जुलाई 2022 दिन शनिवार से 24 जुलाई 2022 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
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Replies to This Discussion

हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण जी

आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्र अनुकूल तीनों ही छंद आपने सुन्दर रचे हैं.

मदन पास छाता बड़ा है नया।
घुसेंगे यहीं सब मजा आ गया।।.....वाह ! बाल मानसिकता को उद्धृत करती सुन्दर पंक्तियाँ.
एक बात अवश्य कहना चाहूँगा कि 'मगर' शब्द का प्रयोग पंक्ति के प्रारम्भ में ही किया करें. सादर

हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी। आपकी सलाह का भविष्य में अवश्य ध्यान रहेगा

यहाँ मेघ बादल रहें हैं बरस

धरा आज प्यासी छिपाती तरस

हुई तेज बारिश व भीगी सड़क

चलें स्कूल बच्चें अकेले अडग

नहीं स्कूल बेगें, कहाँ स्कूल बस
सवारी चले रोज पैंदल, न बस

नहीं हैं टिफ़िन, संग थेली सहज

चले पैर नंगे सभी वे महज़

लिया एक छाता ढकें सिर सभी

गयें भीग़ आधा अभी से सभी
सहारा बनी एक दूजी सखी

सड़क के किनारे चलो रे सखी

मिले गाँव में ये खुमारी वहाँ

खुशी झेल जाते गरीबी वहाँ

शहर में पले, वो नहीं जानते

बिना चित्र देखे नहीं मानते

मौलिक एवं अप्रकाशित

घिरे मेघ हैं झमझमा बारिशें  

सुगढ़ हैं सही आपकी कोशिशें 

तभी आपके छंद मोहित करें 

अगर अक्षरी और भाषा वरें 

आदरणीय मुकुल कुमारजी, आपके प्रयास के लिए हार्दिक धन्यवाद. अत्यंत सार्थक प्रयास हुआ है. 

यह अवश्य है कि भाषा कोलेकर तनिक सचेत रहें 

शुभ-शुभ

सुन्दर सुघड़ छंद रचना चित्र पर ।हार्दिक बधाई आदरणीय मुकुल कुमार जी

आ. भाई मुकुल जी, सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।

आदरणीय मुकुल कुमार जी सादर, प्रदत्त चित्र बहुत सुन्दरता से परिभाषित हुआ है. बहुत बधाई स्वीकारें. किन्तु तुकांतता के नियम का कहीं-कहीं पालन नहीं हो सका है. थेली/थैली. सादर

शक्ति छंद
*******

गये पाठशाला लगन से सभी।
किया है न नागा किसी ने कभी।।
पढ़ी नित्य पुस्तक रटा ज्ञान है।
समझते इसी से सदा मान है।।
**
नहीं बाल मन की व्यथा है कही।
रहा माह पावस न छुट्टी गही।।
चले बाल वापस सभी गेह को।
शरारत उठी मन तभी मेह को।।
**
भले चाहता बाल मन भीगना।
किताबें न भीगें मगर डर बना।।
इसी को चले बाल धेरा किए।
सरकते रहे एक छतरी लिए।।

मिले आपको बधाई सखे 

तुम्हें शारदा माँ सहज ही रखे 

मुसाफिर रहो राह निर्बाध हो 

सुगढ़ छंद रचना, यही साध हो

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपके प्रयास पर हार्दिक बधाई. 

आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन व स्नेह के लिए आभार।

भले चाहता बाल मन भीगना।
किताबें न भीगें मगर डर बना।।// वाह बहुत सुन्दर। हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण जी

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