For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक सौ नवाँ आयोजन है.   

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

16 मई 2020 दिन शनिवार से 17 मई 2020 दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

कुण्डलिया छंद और सार छंद

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं. 

चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 16 मई 2020 दिन शनिवार से 17 मई 2020 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 3215

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय अशोक भाईजी,

अपनी सहज भावना को दो छंदों पर एक कुण्डलिया में बहुत ही सुंदर और सलीके से व्यक्त किया है। साथ ही अंतिम पँक्ति में जो एक भूल हुई है उसे भी याद दिलाकर सक्रिय और गुणी पाठक का कर्तव्य निभाया है।

उत्साहवर्धन और प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार॥

अनुरोध ... द्वितीय छंद की अंतिम पँक्ति को इस तरह पढ़िए   दुल्हन होगी साथ, रस्म हो जल्दी जितनी॥

 

सभी पाठकों से अनुरोध ... द्वितीय छंद की अंतिम पँक्ति को इस तरह पढ़िए   

दुल्हन होगी साथ, रस्म हो जल्दी जितनी॥

 

आ. भाई अखिलेश जी,  प्ररदत्त चित्रानुरूप उम्दा कुंडलियाँ हुई हैं । हार्दिक बधाई ।

आदरणीय लक्ष्मणभाई

हृदय से धन्यवाद आभार।

आदरणीय अखिलेश जी, सुन्दर सृजन!

आदरणीय सतविन्द्र भाई

हृदय से धन्यवाद आभार।

सार छंद

 

गुपचुप-गुपचुप होती शादी, बिन घोड़ी बाराती ।

कोरोना है, मुश्किल आना, मिलने पर भी पाती ।।

मन्त्र पढ़ रहे मोबाइल पर, पण्डित लोटा वाले ।

भूख बड़ी है, दान बिना क्या, करते बैठे ठाले ।।

 

काल शुभाशुभ चूक न जाए, मन में था भय व्यापा ।

इसीलिए दूल्हे राजा ने, पैदल रास्ता नापा ।।

पाँच साथ थे पाँच घराती, हुई अनोखी शादी ।

घर से ही आशीष दे रहे, सारे दादा-दादी ।।

 

समय विदाई का जब आया, सजनी छुपकर बोली ।

साथ हमारे बैठो सजना, चढ़ आओ तुम डोली ।।

नहीं मिलेगा कोई वाहन, सड़कें हैं सब सूनी ।

बात मान लो मेरी वरना, बैठ रमाओ धूनी ।।

 

चले जा रहे डोली में लो, देखो दूल्हे राजा ।

दौड़ लगाते हैं कहार बस, नहीं साथ है बाजा ।।

नीलगगन से सूरज दद्दा, कहते बाँधों बस्ता ।

वरना झेलो ताप भयंकर, हालत होगी खस्ता ।।

 

ग्रीष्मकाल है बैठो घर में, कहते सभी सयाने ।

कोरोना है पसरा बाहर, बनो नहीं दीवाने ।।

आज नहीं तो कल हो जाती, शादी तो है होना ।

चूक हुई तो कहीं पड़े ना, तुमको देखो रोना ।।

 

~ मौलिक/अप्रकाशित.

आदरणीय अशोक भाईजी,

सार छंद में सारी बातें, हृदय खोल कह डाली।

कोरोना के कारण अब तो, सबकी है बदहाली॥

सब सामाजिक धार्मिक उत्सव, लगता खाली खाली।

रंगहीन यह शहर लगे जब, पहुँच न पाई साली॥  

बीस पँक्तियों की हृदय से बधाई

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत सार छंदों को छंद के माध्यम से सराहने और उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर 

सुन्दर चित्रानुरूप छन्द रचना के लिए सादर बधाई आदरणीय

प्रस्तुत छंदों को सराहने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय भाई सतविन्द्र कुमार राणा जी. सादर 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी, गिरह में शुतुरगुरबा नहीं है. फिर भी "तुझसे" की जगह "तुमसे"…"
11 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर'  जी  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।सादर "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"धन्यवाद आ. संजय जी "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन जी और कई तरह से बरता जाता है .. जैसे हैं और भी दुनिया में सुखनवर…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। अमीर जी का "पहली फ़ुर्सत" वाला सुझाव…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण जी, बहुत धन्यवाद"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी नमसकार बहुत ही ख़ूब हुई आपकी ग़ज़ल बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्षमण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों ने बेहतर इस्लाह की है, ग़ज़ल…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"कृपया देखियेगा सादर जान फँसती है जब भी आफ़त में सर झुकाते हैं सब इबादत में 1 और किसका सहारा होता है…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया रचना जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका, गुणीजनों की सलाह से ग़ज़ल सुधार करती हूँ सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सुझाव बेहतर हैं सुधार करती हूँ सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत मुआफ़ी चाहती हूँ आगे से ख़याल रखूँगी, सच है आपने बहुत बार बताया है, इतनी…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service