For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 आदरणीय एडमिन

आप सभी सुधी विद्वान है I आपको साहित्य और  इतिहास का संबंध ज्ञात है  I ऐतिहासिक कहानियों , उपन्यासों और काव्यों  से इतर इतिहास के लेख भी रोचक होते है और हमें अच्छी जानकारियां  भी देते है I   इस मंच पर  राजनीति और फिल्म संबंधी लेख के लिए तो अवसर है, जो साहित्य से अधिक करीब नहीं हैं  पर इतिहास के लिये नहीं  है i मैंने सोचा कि ऐसे लेख भी दूं पर कोई उचित स्थान नहीं मिला  I

मैं समझ सकता हूँ  कि अधिकांश सदस्यों में गंभीर लेखन में कम रुचि है i वे न  लिखते है न पढ़ते है i पर मंच का उद्देश्य  तो व्यापक होना ही चाहिए i  सौरभ जी के लेख भले कोई न पढ़े पर उनका अपना महत्व  तो है आखिर यह सामग्री ही तो इस मंच  पूंजी  हैं  I

इसी प्रकार छंद के लिए स्थान है, पर काव्य-शास्त्र के लिए स्थान नहीं है i मेरे काव्य-शास्त्रीय लेख इसी स्थानाभाव के कारण  छंद चर्चा में डाले  गये i

यह मेरी कोई  शिकायत नहीं है  i एडमिन के सभी लोग मुझे जानते है i मैं भी सब को जानता हूँ i  सब एक परिवार है i हम अनुजाग्रज की डोर  में बंधे हैं i अतः यह मेरा मात्र सुझाव है i आपके हाथों  में है  i कोई बंधन नहीं है i  सादर i

Views: 847

Replies to This Discussion

इस वैचारिक प्रस्तुति के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय |

 

सादर ...............

वर्मा जी

आपका आभार i

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, जिस विषय हेतु अलग से समूह नहीं बना है उस विषय पर आलेख ब्लॉग सेक्सन में पोस्ट किया जा सकता है उसी प्रकार ऐसे पोस्ट जिसपर चर्चा की गुंजाईश हो उसे फोरम सेक्सन के अंतर्गत पोस्ट कर सकते हैं । सादर ।

आदरणीय बागी जी \

उक्त जानकारी के लिए आभार i  सादर i

आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी का सुझाव विचारणीय है। संक्षेप में , हम अपने इतिहास के प्रति उदासीन ही नहीं है , अनभिज्ञ भी है। कभी-कभी किसी विद्वत मंच से अपने इतिहास की इतनी भ्रामक बातें सुनाई पड़ जाती हैं कि आश्चर्य होता है। " हम हजारों साल गुलाम थे " या " हमने सदियों गुलामी झेली है " , जैसे वाक्य जब किसी बहुपठित के मुख से सुनने को मिले तो त्रासदी ही लगती है। सबसे बड़ा आश्चर्य तो यह है कि आज भी हम अपनी हर कमी , हर अकर्यमणता के लिए औपनिवेशिक शासन को उत्तरदायी ठहरा देते हैं। इतिहास को हम सजो - संभाल नहीं पाये , वर्तमान हमारे वश में नहीं हैं। जिस मानसिक गुलामी से हम कभी उबर नहीं पाये , उसकी हम कभी बात नहीं करते हैं। शायद इसलिए कि हम उससे मुक्त होना ही नहीं चाहते , बात हम शिक्षा की करते हैं पर अज्ञानता को सर्वाधिक हम ही पूजते हैं , हम अभी भी अज्ञानता को साक्षरता और शिक्षा से अधिक उपयोगी और लाभप्रद मानते हैं। बलिहारी है हमारी। विश्व में आगे वे लोग बढ़ें जिन्होंने दूसरों के लिए कुछ, बहुत कुछ किया। हम ज़रा सी भी पॉवर मिल जाये तो सात पुश्तों के लिए व्यवस्था कर लेने को ही परम लक्ष्य मानते हैं। दुनिया की समस्त आधारिक धारणाओं एवं मान्यताओं की हम अपनी स्वलाभ साधने वाली परिभाषाएं गढ़ लेते हैं। हम जब भी कुछ करते हैं, सबसे पहले छत बनाते हैं , बुनियाद और नाली को तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए छोड़ देते हैं . अधिक नहीं पर ऐसा तो कभी नहीं रहा हमारा इतिहास। जागने का कोई समय नहीं होता है , दुनिया में हर पल कहीं न कहीं सूर्योदय होता रहता है , इसलिए कभी भी जागिये , पर जागिये तो।

आदरणीय विजय सर

आपके समर्थन से इस चर्चा को बल मिला है i मैं आपका आभारी हूँ  i सादर i

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
7 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
9 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आयोजन में आपकी उपस्थिति का स्वागत है.   एक बात समझ में नहीं आयी, कि…"
17 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, कुण्डलिया छंद में निबद्ध आपकी रचनाओं से आयोजन का स्वागत है. इस आधार…"
25 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया छंद  _____ सावन रिमझिम आ गया, सड़कें बनतीं ताल। पैदल लोगों का हुआ, बड़ा बुरा है…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया * पानी-पानी  हो  गया, जब आयी बरसात। सूरज बादल में छिपा, दिवस हुआ है रात।। दिवस…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service