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        तितली रानी

तितली रानी तितली रानी .

रंग -बिरंगी तितली रानी 
फूलों पे बैठी तू लगती प्यारी 
कितनी लगती न्यारी -न्यारी 
फूलों का रस तेरा जीवन 
कितना सदा तेरा जीवन 
अपने जैसा सबको कर दे 
सबके जीवन में रंग भर दे 
तितली रानी तितली रानी .
रंग -बिरंगी तितली रानी 
इतनी फुर्ती कहाँ से आयी 
हर फूलों से रस चुरायी 
क्षण में धरती क्षण में नभ पर 
मनमोहक छटा बिखराकर 
बादल में जब उड़ती है 
फूलों सी दिखती है 
तूने ही तो शहद बनायी 
बच्चो का जी ललचायी 
तितली रानी तितली रानी .
रंग -बिरंगी तितली रानी 
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Replies to This Discussion

प्रिय शुभ्रा जी, 

बाल साहित्य समूह में आपका हार्दिक स्वागत  है, 

बहुत प्यारी मासूम सी कविता लिखी आपने तितली.इस हेतु आपको हार्दिक बधाई.

मेरा एक सुझाव है, इस कविता को बीस पंक्तियों की जगह यदि सिर्फ ८-१० पंक्तियों में सारी बात को प्रस्तुत करने का प्रयत्न करें तो कथ्य सांद्रता बढ़ जायेगी और कविता बहुत निखर उठेगी.

शुभेच्छाएं और नव वर्ष की शुभ कामनाएँ 

प्राची.

डा प्राची जी आपको भी नववर्ष की शुभकामना /

आपकी उत्तम  सलाह के लिए धन्यवाद / आगे से ध्यान रखूंगी  

शुभ्राजी, आपका बाल-साहित्य के प्रति लगाव अच्छा लगा. डॉ.प्राची की सलाह अनुकरणीय तो है ही, मेरा यहभी निवेदन है कि हम बच्चों की रचनाओं, विशेषकर शिशुओं की रचनाओं को भाषा व्याकरण के लिहाज से शुद्ध रखें. प्रस्तुत रचना का दूसरा भाग कई स्थानों पर इस लिहाज से सुधार की मांग कर रहा है.  आपका प्रयास जारी रहेगा इस अपेक्षा के साथ मेरी बधाई स्वीकारें.

बच्चो की मन भावन तितली रानी पर सुन्दर कविता, मैंने अपने पोते को सुनाई उसे बड़े पसंद आई 

बधाई हो शुभ्रा शर्मा जी  

 लक्ष्मन  जी  आपके पोते को तितली रानी पसंद आयी, सुनकर अच्छा लगा । उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद

वाह, अच्छी रचना, जरा और पोलिस की आवश्यकता थी, फिर भी प्रयास अच्छा बन पड़ा है, बधाई आदरणीया शुभ्रा जी |

बागी जी आप और ओ बी ओ टीम के सहयोग से पोलिश करना  सीख जाउंगी ,धन्यवाद

बाल कविता :

तितली रानी 

शुभ्रा शर्मा 

*

तितली रानी तितली रानी

(1 1 2 2 2 1 1 2 2 2 = 16 मात्रा).

**
तितली रानी तितली रानी,
रंग -बिरंगी तितली रानी।। 
फूलों पर तू लगती प्यारी 
कितनी सुन्दर न्यारी-न्यारी।। 
फूलों का रस तेरा जीवन 
तुझसे सज्जित सारा मधुवन।। 
अपने जैसा सबको कर दे 
सबके जीवन में रंग भर दे।।
*
तितली रानी तितली रानी .
रंग-बिरंगी तितली रानी 
इतनी फुर्ती  कैसे पायी?
हम बच्चों के मन तू भायी।। 
क्षण में धरती, क्षण में अम्बर 
नाच रही तू सबका मन हर।। 
जब-जब बगिया में उड़ती है
तू फूलों जैसी दिखती है 
*
(शुभ्रा जी, रचना में कुछ परिवर्तन किये हैं। पसंद हो तो स्वीकार लें अन्यथा भूल जाएँ। हर पंक्ति में पदभार समान हो तो बच्चों को गाने में आसानी होगी। शहद तितली  नहीं मधु मक्खी बनाती है। तितली बादल जितनी ऊंचाई पर मैंने कभी नहीं देखी।)

आदरणीय संजीव जी इस रचना को आपने मात्रा के अनुसार साध कर बहुत सुन्दर गेयता और सरसता प्रदान की है, बिलकुल निखर उठा यह गीत...

हम सब आपकी इस ज्ञान वर्षा से यूं ही सीखते रहे.

सादर आभार

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