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बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल ठेला आपने वीनस भाई.... बहुत ही शानदार लिखा है आपने....बधाई स्वीकार करें इसके लिए...आपको और आपके परिवार को होली की अग्रिम शुभकामनायें....
दिमाग का दही तो नहीं हुआ लेकिन खुमारी जरुर छा गया....
चांद सूरज फूल तितली जाम मय सब छोड़ दें ,
शायरों की डायरी से सब सफ़ा हो जायेगा।
सबके दिल की बात ज़ुबान में लाने की आपने
कोशिश तो की वरना हम जैसे लोग ठाले बैठे
"बोतल" का मज़ा सिर्फ़ ख़्वाब में ले रहे हैं।
जी मैं खुद हैरान हूँ
शरीफों की जमात में आया था सब के सब बेवडे निकले :)
क्या पता था इस तरह का हादसा हो जाएगा
इतने सारे बेवडों से राबिता हो जाएगा
मृग नयन साकी का चक्कर अब न छोडेगा अगर
खंडहर हो जाएगा, भस्का किला हो जाएगा
चाँद-सूरज, फूल-तितली, जाम-मय, गर छोड़ दें
शायरों की डायरी से सब सफा हो जाएगा
फाइलातुन, फ़ाइलुन, मुस्तफ्यलुन में फँस गए
सोचते थे शाईरी से फ़ायदा हो जाएगा
"दोस्ती" के साथ तूने "दुश्मनी" तो लिख दिया
क्या तुझे मालूम है "छोटी इता" हो जाएगा ?
अब मुझे क्या कह रहा, दो बार तो समझाया था
"रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा"
दो ही मिसरों में तू अपनी बात "वीनस" खत्म कर
चार मिसरों में लिखेगा तो "कतआ" हो जाएगा
हो गया न दिमाग का दही :)
होगया गुरु होगया...दिमग का दही , दही का रायता ...रायता फ़ैल गया....
हाय राम इत्ता खतरनाक नतीजा ...
ठीक है जी शाम के खाने कें इसे भो निपट लीजियेगा
कैसा बना था ये जरूर बताईयेगा :)
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