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वाह एक सेर तो दूजा सवा सेर शह मात का ये हुआ खेल ..सामने वाले को कभी कमतर मत नापो |प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत अच्छी लघु कथा लिखी है मिथिलेश भैया दिल से बधाई लीजिये |
आदरणीय मिथिलेश भाई जी, लघुकथा जीवन के एेसे अंशों की अभिव्यक्ित है जिनका सरोकार सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित करने से होता है जैसे शरीर का छोटे से छोटा राेम शरीर के अंग से जुड़ा होता है। उसी प्रकार छोटी से छोटी घटना अथवा प्रसंग जीवन को संवारने, मानवीय मन स्िथती को समझने और दूसरों के प्रति व्यवहार को निर्धारित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है यदि जीवन से उस क्षण के महत्व को मनफी कर दिया जाए तो जीवन को व्यवस्िथत रूप देनें में दिक्कत होगी क्योंकि मानवीय मनोस्िथती व व्यवहार को समझने के लिए व उसका चरित्र बुनने के लिए जीवन के ये सूक्ष्म अनुभव इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जीवन का निर्माण्ा इन्हीं से होता है । आपकी कथा की अंतिम पंक्ित / शतरंज की बिसात पर राजा, वजीर और मंत्री देख ही नहीं पाए कि उन्हें पार कर घोड़ा ढाई घर चल चुका था ।/ इन्हीं अवधारणायों पर पूर्णरूपेण खरी उतरते हुए आपकी लघुकथा ने प्रतिपादित विषय को जिस मुग्धकारी ढंग से आपने साकार किया है व श्लाघनीय है। असीम शुभकामनाएं ।
आदरणीय रवि जी, इतनी बढ़िया और सार्थक प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हूँ. इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य आयोजन में सहभागिता और इस कार्यशाला में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करना था. यह प्रयास आपको पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हो गया. इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद
आदरणीया बबिता जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार.
बहूत बढिया कथा बनी मिथिलेश जी.बधाई स्विकार किजीए.
आदरणीया नयना जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार.
वाह !!! क्या खूब घोड़े ने ढाई घर का कमाल कर गया। अद्भुत लघुकथा ! आप तो लघुकथा में भी कमाल- धमाल सब कर जाते है।
ढेरों बधाई आपको आदरणीय मिथिलेश जी
आदरणीया कांता जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार. इस बार आयोजन के लिए लघुकथा नहीं लिख पाया था. दरअसल इतने दिनों में कोई प्लॉट दिमाग में आया ही नहीं. कल आयोजन के दौरान एक प्लॉट ने दस्तक दी फिर मैंने प्ले स्टोर से चेस का एप गेम डाउनलोड किया उसे 20 मिनट खेलता रहा और अगले 30 मिनट में ये लघुकथा लिखी और रात तीन बजे के आसपास पोस्ट कर दी तब कहीं चैन से सो सका हूँ.
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