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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 69 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-70

विषय - "रक्षा बंधन"

आयोजन की अवधि- 12 अगस्त 2016, दिन शुक्रवार से 13 अगस्त 2016, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र दो ही प्रविष्टियाँ दे सकेंगे. 
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.


आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 12 अगस्त 2016, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर 
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

रचना के अनुमोदन के साथ विचार साझा करने व हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब अशोक कुमार रक्ताले साहब।

आदरणीय शेख शहज़ाद जी, आपकी प्रस्तुति से भारतीयता की अप्रतिम सुगंध आ रही है. यह कविता रक्षाबन्धन के मूलभूत भाव को साझा कर रही है. यह अवश्य है कि संप्रेषणीयता को और साधा जा सकता था. इसी कारण कविता के कथ्य को समझने के लिए मुझे दो बार इसे पढ़ना पड़ा. लेकिन भाव स्पष्ट होते ही हृदय संतुष्ट हो गया. आपकी सोच और उदार भावना आपकी प्रस्तुतियों से झलक जाती है.

इस आयोजन में एक सार्थक रचना के सापेक्ष अपनी मौज़ूदग़ी दर्ज़ कराने केलिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय 

सहभागिता करने की तीव्र इच्छा के चलते कम समय देकर ऐसा ही लिख सका, कलों को व गेयता को सही रखने की कोशिश भी की। आपने रचना पर उपस्थित हो कर मेरे भावों का अनुमोदन कर अपने विचार साझा कर मुझे जिस तरह प्रोत्साहित किया है, वह इस रचना को प्रस्तुत करने का मक़सद पूरा कर देता है। तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब सौरभ पाण्डेय जी।

शिल्प के बरअक्स शीघ्रता अच्छी नहीं है न ज़ल्दबाज़ी में कोई रचना प्रस्तुत करना उचित है, आदरणीय शेख शहज़ाद जी. वह भी तब जबकि रचनाकर्म के हम पहले पायदान पर ही हैं.

अभी का समय मनन-मंथन और अभ्यास का है. लेकिन खेद है कि ऐसे विन्दुओं पर यदि साग्रह कुछ कह दिया जाय तो आजकल के सदस्य तुरत अपने दिल के ऊपर ले लिया करते हैं. अतः अपनी भी अब कोशिश रहती है कि बलात कुछ कहने से बचा जाय. 

बिलकुल सही कहा आपने आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी। लेकिन मैंने तो ऐसा कुछ नहीं कहा टिप्पणी में। क्या कुछ त्रुटि हुई?

आदरणीय शेख शहज़ाद जी, आग्रह है कि आप मेरी टिप्पणी को फिर से पढ़ जायँ. क्या हमने ऐसा कुछ कहा है जो रचनाकर्म की नैतिकता पर इशारे करता है ? नहीं न ? हम सदा वैधानिक विन्दुओं पर बातें करते हैं. आपकी रचना विधा की नियमावली के बरअक्स और सधी हुई हो सकती है. यह मंच जाने कबसे मात्र प्रस्तुतीकरण हेतु मंच बन गया है. जबकि यह कभी सतत अभ्यास और ’सीखने-सिखाने’ के मंच के रूप में अधिक सम्मान्य था. मेरे लिए तो इसका स्वरूप अब भी वही है. 

आयोजन की तिथियाँ पूर्व घोषित हो जाती हैं. उस हिसाब से हम अभ्यास करें तो विधाजन्य कई विन्दुओं पर सतर्क नज़र बनी रहेगी. यही मेरा निवेदन है.

सादर 

जी अब आपका आशय समझ में आ गया है। सही बात है अभी मात्राओं को गिनना व सपाट बयानी से आगे बढ़ कर सतत अभ्यास की ज़रूरत है। लगभग एक सप्ताह के समय अवधि मिलती है, सो हमें रचना का परिमार्जन करने की कोशिश करनी चाहिए। पुनः मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी।

दिल से शुक्रिया. आदरणीय शेख शहज़ाद भाई

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी ,आर्थिक विवशताओं के बीच बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति , बहुत बहुत बधाई , सादर।
रचना के अनुमोदन व प्रोत्साहन हेतु आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी।

आदरणीय शेख शाहजाद साहिब , भैया तो अब हर मज़हब का - सही कहा भैया सभी मज़हब में है , रक्षा का धर्म से कोई बन्धन नहीं, इसीलिए रक्षा बंधन सबके लिए है चाहे धर्म कोई भी हो |

सादर  

बहुत सही बात कही है आपने। रचना पर समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब कालीपद प्रसाद मंडल जी।

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आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

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