For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 68 में सम्मिलित सभी ग़ज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

परम आत्मीय स्वजन 

68वें तरही मुशायरे का संकलन हाज़िर कर रहा हूँ| मिसरों को दो रंगों में चिन्हित किया गया है, लाल अर्थात बहर से खारिज मिसरे और हरे अर्थात ऐसे मिसरे जिनमे कोई न कोई ऐब है|

___________________________________________________________________________________

मिथिलेश वामनकर


तेरा आशिक नहीं तो बता कौन है
यूं तेरी कैद से भी रिहा कौन है

अपने भीतर कभी झांकता ही नहीं
हर घड़ी पूछता है ख़ुदा कौन है

गर खता का सबब सिर्फ मजबूरियाँ
फिर बुरा कौन है, फिर भला कौन है

कब हुआ, क्या हुआ, क्यों हुआ, हादसा
सोचता कौन है, बोलता कौन है

ज़िन्दगी कोई वादा निभाती नहीं
पूछती ख़ुद मुझे बेवफ़ा कौन है

होंठ मेरे रफ़ू, तुम भी ख़ामोश हो
दरमियाँ फिर भला बोलता कौन है

एक लम्बे सफ़र के लिए चल पड़ा
घर में अब रास्ता देखता कौन है

देर तक अक्स भी सोचता ही रहा
आइने के मुकाबिल खड़ा कौन है

यूं पशेमां न हो अपने ईमान पे
इस नए शहर में जानता कौन है

झूठ की आग में सत्य तो जल रहा
"फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है"

_______________________________________________________________________________

Ganga Dhar Sharma 'Hindustan'

बज़्म में गीत गाता हुआ कौन है.
लूटता यूँ दिलों को भला कौन है

कह रहे हैं परम-आत्मा कौन है.
देखना भाइयों जा-ब-जा कौन है.

सोचिये आसमाँ को करीबे उफ़क.
इस जमीं की तरफ खींचता कौन है .

देखना सिर्फ है सर उठे हैं कई.
जुल्म की बन्दिशें तोड़ता कौन है.

राज-रावण में सच बात पर लात है.
खींच लीजे जुबाँ , बोलता कौन है.

दौर आरक्षणों का चलन में है अब.
काबिलोंको भला पूछता कौन है.

उर्वरा हो जमीं उसपे बादल घना.
बीज है फूटता, रोकता कौन है.

हुक्मरानों बिना दहशती में भला.
तालिबे इल्म को ठेलता कौन है.

क़त्ल के बाद मुर्दा फक़त लाश है.
नाम दे के दलित बेचता कौन है.

जो खिलौने मिले तो उछलता हुआ .
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है.

गोरे हिन्दोस्तान आप ही से कहे
है ये वाहिद यहाँ दूसरा कौन है

_________________________________________________________________________________

गिरिराज भंडारी

मै अगर जी रहा तो जला कौन है
सूरते ख़ाक में ये बचा कौन है

कौन मंज़िल मेरी, रास्ता कौन है
मुझ में भटका हुआ, जी रहा कौन है

कोई अपना नहीं, जब पराया नहीं
मेरी तन्हाई में फिर जिया कौन है

रूह भारी हुई , अश्क बहने लगे
ऐसी तनहाई में रो रहा कौन है

जिस हवा ने हमें ज़िन्दगी की अता
आज पूछो तो मत , ये हवा कौन है

पत्थरों के नगर में ओ मेरे ख़ुदा
“फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है’’

जिस्म की मौत के बाद, जो जी रहा
प्रश्न उससे करो , तू बता कौन है ?

मून्द कर आँख अन्दर कभी देखिये
जान जायेंगे अन्दर छिपा कौन है

शक़्ल देखे बिना मैनें दफना दिया
पूछ मत, अब नज़र से गिरा कौन है

_________________________________________________________________________________

Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"

सो रहा है जहाँ, जागता कौन है।
खुद से ही हो गया, बेवफ़ा कौन है।।

झूठ का आभरण, आचरण पर चढ़ा।
पाप क्या पुण्य क्या, सोचता कौन है।।

आत्मा तन-क़फ़न में है लिपटी हुई।
देखता झाँक कर, आईना कौन है।।

पूछते ही नहीं, हाल माँ बाप का।
फिर भी औलाद से, रूठता कौन है।।

जाने कब काट कर, जिस्म में विष भरे।
जानवर, आदमी से बुरा कौन है।।

देश के दुश्मनों के, लिए लड़ रहा।
इतना नीचे भला, अब गिरा कौन है।।

मादरे भूमि को, छोड़िये भी मियाँ।
माँ की मर्ज़ी भला, पूछता कौन है।।

खेतियाँ नफ़रतों की हैं, अनुदान पर।
सींचता, गुलशन ए एकता कौन है।।

सत्य की बालियों को तो, पिसना ही है।
स्वार्थ की चाक में, छूटता कौन है।।

लोभ की लू से मुर्झा, गए हैं सभी।
फूल सा मुस्कुराता, हुआ कौन है।।

मात्र धन की भजन, हर जुबाँ पर यहाँ।
ज्ञान पंकज बता, चाहता कौन है।।

___________________________________________________________________________________

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)

रूबरू ये मेरे आईना कौन है
मैं नही तू नहीं तो बता कौन है

मुझसे पूछा गया तू बता कौन है
ज़िन्दगी का तेरी आईना कौन है

हसरतें आरज़ुऐ उम्मीदें मेरी
लूट कर फिर भला कौन है

छुप गया शाख़े गुल में जो चेहरा अभी
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है

चाहते हैं सभी पायें मंजिल मगर
बात माँ बाप की मानता कौन है

चाँद सूरज सितारे तेरे अक़्श है
ज़र्रे ज़र्रे में तेरे सिवा कौन है

जिसके दम से है क़ायम ज़मी आसमां
वो खुदा है खुदा दूसरा कौन है

मुश्किलें आयेंगी राहे हक़ में मगर
राहे हक़ के सिवा रास्ता कौन है

तुम जो इज़हारे ग़म हमसे करते नहीं
हम समझते भी कैसे ख़फा कौन है

फेर ली जिसने आँखें सदा के लिए
वो तुम्हारे सिवा दूसरा कौन है

मुझको गुलशन बता फूल की शक्ल में
सफ बा सफ ये महकता हुआ कौन है

___________________________________________________________________________________

MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी)

ले गया लूट कर दिल मेरा कौन है
पूछता हूँ मै वो दिलरुबा कौन है।।

तुम नहीं हो तो मुझको बताओ ज़रा
मेरे ख्वाबों में फिर आ गया कौन है।।

सहने गुलशन में ये खुबसूरत हसीं
"फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है।।"

कितना नाज़ुक है लहजा तेरा हम नशीं
ये जुबां से तेरी बोलता कौन है।।

आज भी एक पल तुम को भूले न हम
अब बताओ तुम्ही बेवफा कौन है।।

तुने जो भी दिया वो ख़ुशी है के ग़म
मेरे दिल के सिवा जानता कौन है।।

होगी उनको जरुरत मेरी आज फिर
बे ज़रूरत यहाँ पूछता कौन है।।

गैर की बात पर है यकीं दोस्तो
बात अपनों की अब मानता कौन है।।

सबने ओढ़ी जहाँ पर हो उरयानियत
क्या बताऊँ तुम्हे बे हया कौन है।।

तू ही बिगड़ी बनाएगा बेशक मेरी
मेरा तेरे सिवा ऐ खुदा कौन है।।

सबको "रिज़वान" अपनी पड़ी है यहाँ
हाल माँ का भला पूछता कौन है।।

________________________________________________________________________________

Mohd Nayab

जिसको सजदा किया वो बता कौन है
वो है मेरा ख़ुदा आपका कौन है

ले गया दिल चुरा कर मेरा कौन है
ज़ुल्फ़ की ऒट में चाँद सा कौन है

मैं नहीं हूँ अगर तेरे दिल में तो फिर
तू बता दे मुझे दूसरा कौन है

माँ ने पूछा तो मुझको बताना पड़ा
कौन महबूब है दिलरुबा कौन है

पी गया मैं छुपा कर तेरे सारे ग़म
आंसुओ को भला देखता कौन है

बेवफाई का इल्ज़ाम दे तो दिया
ये न सोचा कि पहले ख़फा कौन है

तूने ठुकरा दिया तो कहाँ जाऊंगा
मेरा तेरे सिवा आसरा कौन है

कोई हसरत न बाकी रहे सोच लो
जा के दुनिया से फिर लौटता कौन है

आप मुन्सिफ है खुद फैसला किजिये
फूल सा कौन है ख़ार सा कौन है

तू नही है हो नायाब फिर ये बता
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है

________________________________________________________________________________

जयनित कुमार मेहता

राग किसने ये छेड़ा नया, कौन है
प्रेम के गीत गाता भला कौन है

देख तो पत्थरों से भरे शह्र में
"फूल-सा मुस्कुराता हुआ कौन है"

बाद मुद्दत के मिलने पे उसने कहा
मैं नहीं जानता, तू मेरा कौन है

आज फिर टूटकर इक सुदामा गया
कृष्ण ने जब कहा, क्या पता कौन है

बैठते तट पे मोती की चाहत लिए
पर समंदर का क़द नापता कौन है

ज़ेह्न में जिनके हो मंज़िलों का नशा
वो नहीं पूछते, रास्ता कौन है

आइये, लूटिये, खाइये, जाइये
नींद में हैं सभी, देखता कौन है

_______________________________________________________________________________

Sheikh Shahzad Usmani

खेलता आबरू पर जुआ कौन है,
मुल्क का दांव कब झेलता कौन है।

देशद्रोही चलन बढ़ रहा किस क़दर,

दुश्मनों की ज़ुबां बोलता कौन है।

जान ले मर्म हर धर्म का काश तू,
एकता भंग करता जवां कौन है।

दो घरों को सजाने जनम ले लिया,
फूल सा मुस्कराता हुआ कौन है।

तंज तीखा करे हर कथानक बयां,
देश हित कह रहा लघुकथा कौन है।

क्या मिला नाम निज देश का पूछ कर,
गाँव में यह सिखाने गया कौन है।

बदज़ुबानी दिखाकर जगत में स्वयं,
पोल निज देश की खोलता कौन है।

स्वच्छ मन ही नहीं रह सके अब जहाँ,
स्वच्छता का मिशन थोपता कौन है।

फ़िक्र कर ली बहुत 'शेख़' सद्कर्म कर,
अब बढ़ा ले क़दम रोकता कौन है।

_________________________________________________________________________________

shree suneel

शबनमीं रात में भीगता कौन है
ऐक है दिल मेरा दूसरा कौन है.

उम्र भर साथ उसके मैं चलता रहा
जानने के लिए, वो भला कौन है.

ह़र्फ़ मेरे ख़तों से उड़ा कर के फिर
इत्र की बूँदें वाँ रख गया कौन है.

ज़र्द पत्तों की तो शाखें लगतीं हैं कुछ
अब उसे तोड़े भला,ये हवा,कौन है.

दिल अकेले में भी लग रहा है मेरा
यूँ मुझे आज बहला रहा कौन है.

खप रही है तू जिस हौसले से हयात
सोच में हूँ कि तेरा खुदा कौन है.

मैं तो हूँ हीं नहीं फिर मेरे चेह्रे पर
'फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है'.

बर्फ़ का सत्ह़ इस जा सुलगता है,देख!
साँस लेता हुआ याँ दबा कौन है.

मुद्दतों बाद के शह्र में अब सुबंधु
पूछता कौन पहचानता कौन है.

_________________________________________________________________________________

नादिर ख़ान

हमसा चाहे तुम्हें दूसरा कौन है।
अपना सब-कुछ लुटा दे बता कौन है।

है गुनाहों में तर, फिर भी सोया बशर
गलतियों से सबक सीखता कौन है।

अपनी ही बात से अब मुकरता है क्यूँ
बावफ़ा तू है गर, बेवफ़ा कौन है ।

ज़ुल्म की इन्तहा हो गयी देखिये
अब गलत को गलत बोलता कौन है।

देखकर जिसको, चेह्रे सभी खिल गये
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है ।

नाम ले ले के जीता हूँ मै बस तेरा
इक खुदा के सिवा अब मेरा कौन है।

चाहते हैं सभी बस खुशी ही खुशी
बाँटकर ये मिले जानता कौन है।

टूटकर जिसको चाहा मिला ही नहीं
ऐ मेरे दिल बता अब तेरा कौन है।

बोलने से यहाँ फायदा ही नहीं
सर को दीवार में मारता कौन है ।

चल रहे हैं सभी कुछ पता ही नहीं
भीड़ ही भीड़ है, रहनुमा कौन है ।

__________________________________________________________________________________

शिज्जु "शकूर"

नेकियाँ अब भला बाँटता कौन है
इस ज़माने में ये सरफिरा कौन है

दरमियाँ सूखी मुरझाई शक्लों में ये
“फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है”

एक मुद्दत हुई खुद को देखे हुये
आइना भी कहे तू बता कौन है

आपका साथ कब से मयस्सर नहीं
फिर मेरे साथ ये आप-सा कौन है

वक्त जब ये गुज़र जाये तो देखना
दरहक़ीक़त यहाँ आपका कौन है

कौन देता है मुझको सरे शब सदा
मैं तो ख़ामोश हूँ बोलता कौन है

हार हालात से मान बैठो न यूँ
लोग कह देंगे बे-दस्तो-पा कौन है

_________________________________________________________________________________

Tasdiq Ahmed Khan

रस्मे बज़्मे सनम तोड़ता कौन है /
सिर्फ़ सुनते हैं सब बोलता कौन है /

प्यार के बाद में सोचता कौन है /
जानिबे इंतहा देखता कौन है /

ग़म न कर अपनि बे आबरुई पे तू
इस नगर में तुझे जानता कौन है /

सिर्फ बस्ती नहीं यह भि है देखना
इस तबाही के पीछे खड़ा कौन है /

देख कर उनको कहने लगी हर कली
फूल सा मुस्कराता हुआ कौन है /

जड़ यही हैं जहाँ में फसादात की
ज़र ज़मीं ज़न कि लौ से बचा कौन है/

मुझको उनके तसव्वुर ने महका दिया
वर न गुल की तरह सूँघता कौन है /

था सुख़नवर गरीबी क मारा हुआ
वर न ईमान को बेचता कौन है /

फ़ैसला आजतक हो न पाया है यह
हुस्न और इश्क़ में बेवफ़ा कौन है /

कारवां सिर्फ़ महफ़ूज़ अपना रहे
क्या हे इस से ग़रज़ रहनुमा कौन है /

क़ुर्ब की चाह तस्दीक़ करते हें सब
फुरक़ते दिलरुबा चाहता कौन है

________________________________________________________________________________

Ahmad Hasan

ज़ोर आवर वो सबसे सिवा कौन है /
हाथ में है धनुष राम सा कौन है /

तिफ़्ल ये खुशबुओं में बसा कौन है /
फूल सा मुस्कराता हुआ कौन है /

कृष्ण सा कौन है आपके साथ में
खाए माखन चले न पता कौन है /


इसकि किलकारियां ख़ूब हैं नग़मगीं
ये चहकता हुआ श्याम सा कौन है /


गोपियाँ जैसे हों हालते रक़्स में
बांसुरी सा बजाता हुआ कौन है /

मिलने वाले सभी मुझको अच्छे लगे
सोचता हूँ कि मुझसे बुरा कौन है /

क़ाफ़िले में ख़मोशी है सहमी हुई
हमको मालूम है रहनुमा कौन है /

अपनि बस्ती में अफ़वाह की है हवा
ये तो देखें कि देता हवा कौन है /

ज़ोरे तूफां समुन्दर से कहता फिरा
कश्तिये नूह का नाखुदा कौन है /

शक्लोसूरत में चीनी हैं सब एक से
कुछ पता ही नहीं कौन सा कौन है /

जां से अहमद गए मेरे अपने सभी
पूछते हो मुझी से लुटा कौन है /

__________________________________________________________________________________

Ravi Shukla

इन्डियन रेल का नाखुदा कौन है
दास्ताँ ये मेरी सुन रहा कौन है

देखिये सरफिरा तो मुआ कौन है
कोच के गेट पर अड़ गया कौन है

फर्द जो घुस गए कोच में, कह रहे
है जगह का कहत आ रहा कौन है

छोड़ दो अब तुम्हे है ख़ुदा की कसम
कर रहम पाँव पर ये खड़ा कौन है

यूँ पसीना बहा तो न था भीड़ में
अपनी हाजत रवां कर रहा कौन है

भीड़ में जेब ही कट गई जब मेरी
याद आया मुझे तब खुदा कौन है

काश मुँह को घुमा कर उसे देखता
पीक ये जेब में भर गया कौन है

ये मेरा पैर है मत खुजाओ इसे
क्यों समझते नही बेहया कौन है

भीड़ के हो गए कान फ़ौरन खड़े
चिढ़ के खातून ने जब कहा कौन है

कोई टी टी यहाँ आके देखे ज़रा
बर्थ पर ये मेरी सो गया कौन है

रेल के कोच में जब परेशान सब
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है

______________________________________________________________________________

Manan Kumar singh

शूल से सर भिड़ाता हुआ कौन है
धूल को सर चढाता चला कौन है।1

ढूँढते हैं नजाकत रहे मौन सब
शुष्क दिल में बिठाता मुआ कौन है।2

चाहते हैं निजामत सभी कारकुन
जाँ कहें तो लुटाता हुआ कौन है।3

लग गयी तब लगन आजकल की नहीं
आज भी जो निभाता रहा कौन है।4

जो वतन का हुआ भूलकर खुद जमीं
बेड़ियों में जड़ा सरफिरा कौन है।5

बेदियों पर चढ़ा जा रहा सर उठा
हौसला से जिया जब मरा कौन है।6

जो उठा अब जमीं से गगन छा रहा
फूल-सा मुस्कराता हुआ कौन है।

__________________________________________________________________________________

Samar kabeer

सच तिरे सामने बोलता कौन है
देखना है कि हक़ आशना कौन है

जैसे तेरा नहीं कोइ मेरे सिवा
जान,मेरा भी तेरे सिवा कौन है

देखना तो ज़रा आइने की जगह
पत्थरों के मुक़ाबिल खड़ा कौन है

सब यहाँ क़ैद अपने हिसारों में हैं
ये हदें तोड़ कर भागता कौन है

जा रहे हो उसे ढूँढने के लिये
ये बताओ कि पहचानता कौन है

जब कहानी का अंजाम होगा रक़म
इक सवाल आएगा,बेवफ़ा कौन है

देखिये तो ज़रा चाँद की ओट में
"फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है"

वो अलग लोग थे,ऐ "समर" अब यहाँ
दूसरों के लिये सोचता कौन है

___________________________________________________________________________________

Nilesh Shevgaonkar


आईना-ख़ाने में आईना कौन है,
मैं बता कौन हूँ,,, तू बता कौन है?
.
तीरगी तुझ से है, तुझ से ही रौशनी,
फिर दीया कौन है, फिर हवा कौन है?
.
तू ही कश्ती, मुसाफ़िर, समुन्दर, हवा,
तू भँवर, लह’र तू ,,,,,नाख़ुदा कौन है?
.
बागबाँ, तितलियां, ख़ार, कलियों में तू,
“फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है?”
.
तू ही मंज़िल, मुसाफ़िर, सफ़र...मुश्किलें,
तू सहर, शाम तू .......रास्ता कौन है?
.
लोग रोते रहे ख्वाह-मखाह जिस्म पर,
मैं तो ज़िन्दा हुआ, फिर ..मरा कौन है?
.
चाँद सूरज ख़ला, ज़र्रे ज़र्रे में तू,
जानते हैं सभी, मानता कौन है?
.
लोग बहने लगे, तैरने मैं लगा,
देखिये!! अब यहाँ डूबता कौन है?
.
इल्म वाले बहुत हो मगर ‘नूर’ जी,
आप को शह’र में जानता कौन है?

___________________________________________________________________________________

laxman dhami 


इस सियासत में जन का सगा कौन है
सोचता उसके हित की भला कौन है /1

शोर सन्सद में करते बहुत रोज ही
शोषितों के लिए पर उठा कौन है /2

अब सभी को महज कुर्सियों की पड़ी
देश के हक में सच बोलता कौन है /3

नाम अफजल का सबकी जुबाँ पर चढ़ा
याद सरहद पे किसको मिटा कौन है /4

कौन भीतर से भयभीत हँसता हुआ
आँख भर के भी गर्वित पिता कौन है /5

सबका दामन यहाँ आँसुओं से हरा
बारिशों में भला भीगता कौन है /6

रोज रोना तू गम का लिए बैठता
पूछता गम से खाली बता कौन है /7

शूल से दुख रखे साथ में देख वो
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है /8

सबके हिस्से में दूषित ही आयी यहाँ
सूँघता यार ताजी हवा कौन है /9

पाँव जाते नहीं देव घर की तरफ
छोड़ता आजकल मयकदा कौन है /10

__________________________________________________________________________________

kanta roy

दिल दिया यार को सोचता कौन है
इस जहाँ में भला आप सा कौन है

आईना आईना खेलता कौन है
मेरी सूरत से ज़ाहिर हुआ कौन है

रात भर जागना खुद तलाशी में वो
इस अंधेरे में उसको मिला कौन है

सुख की छाँव में पलता है हर फूल, पर
धूप में गुलमोहर चूमता कौन है

मोम सा दिल तेरा क्यों नहीं है सनम
संग दिल ये बता बे वफ़ा कौन है

ज़ख़्मे दिल से मेरे रिस रहा है लहू
तीर चाहत का यूँ मारता कौन है

"कान्ता" फिर बहारों ने पूछा है ये
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है

_________________________________________________________________________________

Sachin Dev

आज फिर ये नज़र से गिरा कौन है
जो नज़र से गिरा फिर उठा कौन है

आज आबाद महफ़िल है जिनसे यहाँ
कल कहाँ होंगे वो जानता कौन है

आजकल बात ईमान की जो करे
पूछते लोग ये सिरफिरा कौन है

लोग कहते हैं पत्थर की दुनिया है ये
मिट्टियों से बता फिर बना कौन है

हो गये हैं वफादार जबसे सनम
ढूँढता फिर रहा बे-वफ़ा कौन है

अपने दामन में कांटे समेटे हुये
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है

नाचती जिन्दगी पल में चूमे जमीं
डोर सांसों की ये तोड़ता कौन है

___________________________________________________________________________________

Safat Khairabadi

बा वफ़ा कौन है बे वफ़ा कौन है
दे गया आज मुझको दग़ा कौन है

प्यार करने की तूने जो दी है सज़ा
तुझको चाहा अगर तो ख़ता कौन है

तू ही मेरा मसीहा था तेरे सिवा
दर्द दिल की मेरे अब दवा कौन है

तुझको ये भी खबर है मसीहा मेरे
यूँ मोहब्बत में तेरी लुटा कौन है

उड़ गयीं अब तो रातों की नींदें मेरी
मेरी आँखों में आखिर बसा कौन है

बातों बातों में यूँ रूठ जाना तेरा
हाय ज़ालिम ये तेरी अदा कौन है

बस नज़र में तु ही तू है तेरे सिवा
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है

हमने देखे जहाँ में "शफाअत" बहुत
तेरे जैसा हसीं दूसरा कौन है

________________________________________________________________________________

HAFIZ MASOOD MAHMUDABADI

बेवफा कौन है बा वफ़ा कौन है
सोचता हूँ मेरा हमनवां कौन है

इश्क़ का जाम किसके नहीं हाथ में
आज के दौर में पारसा कौन है

हर तरफ शोर ओ शर बे अमा ज़िन्दगी
चैन से मुल्क में रह रहा कौन है

अपनी फितरत से करते हैं आसान हम
पुर्खतर जो न हो रास्ता कौन है

अपने साये से डरने लगा आदमी
आज मस्नद पे जलवानुमा कौन है

सब तो अपने लिए सोचते है यहाँ
दूसरों के लिए सोचता कौन है

तू नहीं है तो फिर मेरे अहसास में
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है

ज़िन्दगी का भरोसा न कर बे खबर
इससे बढ़ कर कोई बे वफ़ा कौन है

चोट खा कर भी मसऊद टूटा नहीं
संग के शहर में आईना कौन है

______________________________________________________________________________

SHARIF AHMED QADRI "HASRAT"

दिल में तेरे सिवा दूसरा कौन है
तुझको मेरी तरह चाहता कौन है

साथ मेरे अगर तुझको रहना नहीं
जा चला जा तुझे रोकता कौन है

खून किसका बहा किसका घर जल गया
अब वतन में मेरे सोचता कौन हैं

अच्छे दिन आयेंगे काला धन आएगा

इस क़दर दोस्तों फेंकता कौन है

दिल के आँगन में ये दर्द की शाख़ पर
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है

अब न हसरत कोई मेरी तेरे सिवा
रब से हर दम तुझे मांगता कौन है

__________________________________________________________________________________-

सतविन्द्र कुमार

आज दिल में इस तरह बसा कौन है
चाह कर भी कि आगे बढ़ा कौन है

आयतें प्यार की जैसे गुम हो गई
कागजे दिल पर लिखे भला कौन है

फैलता जा रहा आग का दौर-सा
प्यार से ये बुझे सोचता कौन है

जब मिटा दी गई हो ख़ुशी हर तरफ
"फूल-सा मुस्कुराता हुआ कौन है"

भूल जाना सही इक लगे यार को
बात सह लें सभी मानता कौन है

___________________________________________________________________________________

योगराज प्रभाकर

सूफियाना ग़ज़ल गा रहा कौन है
पीर है या कोई दिलजला, कौन है?
.
जोड़ता कौन है, तोड़ता कौन है
इस बहस का करे फैसला, कौन है?
.
हुक्मराँ दौर का है जो हातिम अगर
फिर निवाले मेरे छीनता कौन है
.
दिलबरी, दोस्ती, आजिज़ी, सादगी
शौक़ महंगे बड़े, पालता कौन है
.
धडकनें यूँ बढ़ीं क्यों अचानक मेरी
कनखियों से मुझे देखता कौन है
.
शर्त ये थी यहाँ इत्र ही इत्र हों
फिर धतूरा यहाँ बो रहा कौन हैं
.
देख महबूब को सब ने पूछा यही
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है
.
छनछनाहट सी पायल की चुप हो गई
ये मुझे देखकर छुप गया कौन है
.
खाक में दफ्न है गर वो ज़ालिम यज़ीद
रच रहा फिर नई कर्बला कौन है

______________________________________________________________________________

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

यह हृदय में मधुर आ बसा कौन है ?
जन्म से मैं उसे जानता, कौन है I

थाप उर-द्वार पर जब कभी भी दिया
चौंकता स्वर सुनायी दिया- ‘कौन है ?’

एक झंझा जगायी न होती प्रिये !
मैं प्रणय को न पहचानता कौन है I

आ गया,भा गया,छा गया स्वर्ग के
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है ?

आश का दीप मन में सहेजे जिया
ज्योति का प्रश्न- ‘यह धूम सा कौन है ?’

आचरण में अँधेरे सघन जब हुये
मैं स्वयं पर हंसा- ‘देवता कौन है ?’

कृष्ण ही कृष्ण है वात का आवरण
आज ‘गोपाल’ को पूंछता कौन है ?

_____________________________________________________________________________

gumnaam pithoragarhi

यूँ मुझे रात दिन सोचता कौन है
हिचकियों से जुड़ा वो भला कौन है

सुब्ह का रंग भी आज फीका लगे
ज़िन्दगी कह रही यूँ खफ़ा कौन है

इश्क से बेखबर यार बोला यही
इस गली में कहो आपका कौन है

ज़िन्दगी खेल है मानता हूँ मगर
साथ मेरे मगर खेलता कौन है

पूछती है ख़ुशी क्यों मेरा भी पता
मेरे घर में ख़ुशी का सगा कौन है

दर्द ये शबनमी बाँटना है गुनाह
कीमती ये गुहार तोड़ता कौन है

बस परत दर परत वो दबा ही रहा
इश्क के दर्द को भूलता कौन है

नाम गम और पता भी मिला लापता
शख्स गुमनाम पर भी फ़िदा कौन है

___________________________________________________________________________________

अजीत शर्मा 'आकाश'

मुझको दे के सदा छुप रहा कौन है ।
ढूँढ कर मैं भी देखूँ ज़रा, कौन है ।

जा के अँधियारों से मिल गया कौन है ।
सूर्य बनकर हमें छल रहा कौन है ।

अपने अपने ग़मों ही से फ़ुर्सत नहीं
अश्क औरों के अब पोंछता कौन है ।

झोंक कर धूल हम सबकी आँखों में ये
चोर दरवाज़े से आ गया कौन है ।

जानते सब हैं क़ातिल को अच्छी तरह
कौन बोले मगर, सरफिरा कौन है ।

सिर्फ़ सच कहने की ज़िद है पाले हुए
सर कटाने पे आखि़र तुला कौन है ।

देखिये तो, मुख़ालिफ़ से मौसम में भी
[[फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है]]

_______________________________________________________________________________

सीमा शर्मा मेरठी

भीष्म ओ दशरथ सा जग में बता कौन है
हर वचन अब निभाता भला कौन है ।

दूध का इस जहां में धुला कौन है
खोटे सिक्के हैं सब, अब खरा कौन है।

खौफ़ से सहमे सब कोई जाता नहीं
दश्त में यार ऐसी बला कौन है।

दिल की तस्वीर में रंग भरता हुआ
ऐ मुसव्विर बता तू मेरा कौन है।

गम के वीरान लम्हो में नींदे कहाँ
दश्त की रात सोता भला कौन है।

कौन टाले भला बात दिल की कही
ज़ह्ण का मशवरा मानता कौन है।

कोई चहरा सा इसमें रहे घूमता
हर घड़ी आँखों में चल रहा कौन है ।

दिल की बगिया में यादों की शाखों पे ये
"फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है ।"

क्यों समन्दर का नमकीन पानी हुआ
अश्क़ इसमें मिलाता भला कौन है।

चांदनी की बहुत खुशनसीबी है ये
चाँद सा हमसफ़र दूसरा कौन है

_______________________________________________________________________________

मोहन बेगोवाल

इस जहाँ में हमारा हुआ कौन है।
जिस बुलाया यहाँ वो बता कौन है।


हम चलो ये तलाशें अभी तक यहाँ,
“फूल सा मुस्कराता हुआ कौन है”।

जो लगा था बहाने बनाने अभी,
साथ उस के सहारे चला कौन है।

हम कहें कैसे ये बात अपनी उसे,
दर्द दिल का बटाये भला कौन है।

बात दिल की उडाये हवा में सदा,
इस जहाँ में अभी सरफिरा कौन है।

आग कैसे ये मेरे थी घर आ गई ,
मेरा अपना बता बे वफा कौन है ।

________________________________________________________________________________

भुवन निस्तेज

ये नहीं, वो नहीं तो बता कौन है
जिसको अपना कहा वो भला कौन है

जो जलाकर गया ये दीया कौन है
यूँ तो इस घर में मेरे सिवा कौन है

खुद ही चुनना है किस रासते पर चले
मंजिलें क्या कहें रासता कौन है

कोई सुनता नहीं ये अलग बात है
वैसे इस बज़्म में बेसदा कौन है

उसकी आहट से ही दिल धड़कने लगा
सुन ऐ राधा तेरा साँवला कौन है

जिसके आते चमन में बहार आ गयी
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है

फूल, तितली व जुगनू चमन में हैं पर
ख़ूबसूरत हँसी आप सा कौन है

मेरी राहों ने जिसकी सुनाई कथा
कोई तो है मगर क्या पता कौन है

___________________________________________________________________________________

maharshi tripathi

ख़्वाब में इस क़दर आ रहा कौन है
रातभर राज फिर खोलता कौन है

चूसने हैं लगे सब गरीबों के खून
फिर इन्हें दे रहा यूं दुआ कौन है

बोस, गांधी, भगत चाहते है सभी
खुद का बलिदान पर चाहता कौन है

आज फिर है चली कार फुटपाथ पर
बाद इसके जमीं पर पड़ा कौन है

इश्क़ में दर्द-ओ-ग़म ही मिला है हमें
इस जहाँ में रहा शादबा कौन है

शूल देकर हमें तो खफ़ा कर दिया
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है"

__________________________________________________________________________________

UMASHANKER MISHRA

हिंदू मुस्लिम का है कहा कौन है ?
खून किसका गिरा है बता कौन है ??

उनकी महफ़िल में कैसी तकरीर थी
कट गई गरदने लापता कौन है?


दंगे भड़के नहीं यूँ लगाये गए |
तल्ख़ किसने कहे सरफिरा कौन है?

देश से दुश्मनी किसके कहने पे की ?
जहर किससे पिया जानता कौन है ??

हर तरफ थू थू की आवाज थी |
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है ??

तुम नादान थे क्या जानों खता |
जख्म माँ ने सहे मानता कौन है ||

अपनी माटी से उपजी कैसी फसल ?
बो रहा कोई है काटता कौन है??


वतन को सम्हाले या जेबे भरें
जेब कितनी भरी झांकता कौन है ??


देश के बैरियों का करूँगा कतल |
है जुनूने वतन जानता कौन है ||

__________________________________________________________________________________

मिसरों को चिन्हित करने में कोई गलती हुई हो अथवा किसी शायर की ग़ज़ल छूट गई हो तो अविलम्ब सूचित करें|

Views: 1781

Reply to This

Replies to This Discussion

तरही मुशायरे की क़ामयाबी व मेरी ग़ज़ल को इस्लाह देते हुए संकलन में क़ायम रखने के लिए मंच संचालक महोदय व सभी सहभागियों को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया। हरे रंग वाले एक मिसरे को सुधार कर यह मिसरा प्रेषित कर रहा हूँ, यदि सही है,तो मेहरबानी करके प्रतिस्थापित कर दीजिएगा :
एकता भंग करता युवा कौन है।
आदरणीय राणा प्रताप सर जी, तरही मुशायरे के सफल संचालन व संकलन प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया.
आदरणीय, मेरी ग़ज़ल के तीन मिसरे हरे रंग के हो गए हैं...

अब उसे तोड़े भला,ये हवा,कौन है.

बर्फ़ का सत्ह़ इस जा सुलगता है,देख!

मुद्दतों बाद के शह्र में अब सुबंधु

पहले मिसरे में मैं कहना चाहता हूँ कि सूखे पत्तों को ये हवा तोड़े तो ये हवा कौन है जो उसे तोड़े. यहां 'ये हवा' को 'दीपक देहरी' सा प्रयोग किया गया है.
आख़िरी मिसरे मे बहुत पहले छोड़ गये शह्र में फिर से आने को 'मुद्दतों बाद के शह्र' कहा गया है.
बीच के मिसरे में.. मेरे पास उपलब्ध उर्दू लुग़त में 'सत्ह़' को पुल्लिंग बताया गया है इसलिए ये प्रयोग किया गया.
कृप्या इस बिन्दु के साथ अन्य कमियों को स्पष्ट करते हुए मार्गदर्शन करें. सादर
सतह स्त्रीलिंग है श्री सुनील जी और पहले रंगीन मिसरा जिसे शेर का है उसके ऊला में आपने "शाखें" लिखा है सानी में इस हिसाब से उन्हें होना चाहिये आपने उसे किया है

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ। हम भटकते रहे हैं…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"ग़ज़ल वो दगा दे गए महब्बत मेंलुट गए आज हम शराफत में इश्क की वो बहार बन आयेथा रिझाया हमें नफासत…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी तरही मिसरे पर आपने ख़ूब ग़ज़ल कहीं। हार्दिक बधाई। अमित जी की टिप्पणी के अनुसार बदलाव…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, मेरा आशय है कि लिख रहा हूँ एक भाषा में और नियम लागू हों दूसरी भाषा के, तो कुछ…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"... और अमित जी ने जो बिंदु उठाया है वह अलिफ़ वस्ल के ग़लत इस्तेमाल का है, इसमें…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
".हम भटकते रहे हैं वहशत में और अपने ही दिल की वुसअत में. . याद फिर उस को छू के लौटी है वो जो शामिल…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. संजय जी,/शाम को पुन: उपस्थित होऊंगा.. फिलहाल ख़त इस ग़ज़ल का काफ़िया नहीं बनेगा ... ते और तोय का…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//चूँकि देवनागरी में लिखता हूँ, इसलिए नस्तालीक़ के नियमों की पाबंदी नहीं हो पाती है। उर्दू भाषा और…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गिरह भी अच्छी लगी है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।  6 सुझाव.... "तू मुझे दोस्त कहता है…"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service