For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 56 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-57

विषय - "तुला / पलड़ा / तराजू "

आयोजन की अवधि- 10 जुलाई 2015, दिन शुक्रवार से 11 जुलाई 2015, दिन शनिवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र एक ही प्रविष्टि दे सकेंगे.  
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 10 जुलाई 2015, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 13247

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीया कान्ताजी, आपको रचनाकर्म रुइकर लगा, रचनाकार के तौर पर समझिये मेरा भी प्रयास सार्थक हुआ.
हार्दिक धन्यवाद

प्रदत्त विषय को सार्थक करता छंद बहुत सुन्दर तीसरा बंद तो बहुत ही प्रभाव शाली हुआ है इस शानदार प्रस्तुति हेतु आपको बहुत बहुत बधाई आ० सौरभ जी |

तराजू न सोचे किसे ’क्या’ मिला है, बिना मोह दायित्व सारे निभाता --वाह्ह्ह्ह लाजबाब तरीके से तराजू को परिभाषित किया है 

आदरणीया राजेश कुमारीजी, किसी छन्द जानकार से अपनी छान्दसिक रचना पर वाहवाही प्राप्त करना सदा से आनन्ददायक हुआ करता है. आपको रचनाकर्म रुचिकर लगा यह मेरे प्रयास की सार्थकता है.
सादर धन्यवाद

परम आ. सौरभ जी सादर 

       तराजू के वैशिष्ट्य को दर्शाते तीनो पद अप्रतीम है सादर बधाई 

आदरणीय सत्यनारायण भाई, आपके अनुमोदन का सदा स्वागत है. हार्दिक आभार.

महाभुजंग प्रयात रचना करना और गेयता निभाना बड़ा मुश्किल काम है | इसमें भी तराजू का सुझाना,निभाना, जताना,और  बताना जैसे शब्दों के  साथ ही अकर्मा, विकर्मा यथावादिता और न्यायप्रेमी तराजू के  बात पर रचना गढ़ना कौशल का परिचायक है | आँख पर पट्टी बाँध निष्पक्ष नाय करती तराजू का महत्व बताती अद्भुत और उत्तम रचना प्रस्तुत करने के लिए साधुवाद आदरणीय 

आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी, आप छन्दों के मर्म को समझते हैं. इसी कारण आपसे मिला अनुमोदन तोषदायक है.
सादर धन्यवाद

आदरणीय सौरभ भाईजी

भले आदमी की भली भावनाएँ, सदा तूल्य होतीं, जताये तराज़ू

भली ज़िन्दगी में भला भिन्न क्या है, इसे भूलिये तो बताये तराज़ू .

सदा ही अकर्मों, विकर्मों, विचारों, यथावादिता के स्तरों को बताता

दिखा है सदा न्यायप्रेमी तराजू, ’कभी द्वंद्व पालो न धारो’ पढ़ाता

बँधी आँख पट्टी खड़ी जो इसे ले, उसी मूर्ति को न्याय-देवी बताता

तराजू न सोचे किसे ’क्या’ मिला है, बिना मोह दायित्व सारे निभाता

उपरोक्त पंक्तियों में ही प्रदत्त विषय का निचोड़ आ गया है। सही कहन, तराजू भेद भाव नहीं करता, और सच कहें तो वही एक महान्यायवादी है क्योंकि वह मानवीय दोषों मुक्त है। लेकिन डंडी मारने की कला सिखाने वाला मानव तराजू [न्याय] को ही बदनाम कर देता है। तराजू को माध्यम बनाकर अन्याय होता है , फिर आँख की पट्टी झुल जाती है और न्याय भी चेहरा और भारी पलड़ा देखकर होने लगता है। यह कई सौ वर्षों से भारतीय परम्परा बन गई है।

कई बार पढ़ गया । किसी भी विषय को महाभुजंगप्रयात  (१२२, लघु-गुरु-गुरु) x 8 में व्यक्त करना  महा कठिन है लेकिन आपने बड़ी सहजता से निभाकर न्याय के तराजू पर पूरा न्याय किया है, यह आपके ही बस की बात हो सकती है। 

आदरणीय हृदय से बधाई । 

//किसी भी विषय को महाभुजंगप्रयात  (१२२, लघु-गुरु-गुरु) x 8 में व्यक्त करना  महा कठिन है //


बात एक सीमा तक सही भी है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.
आपके विन्दुवत अनुमोदन से मेरा रचना प्रयास सम्मानित हुआ है. हार्दिक आभार आदरणीय.

आदरणीय सौरभ जी 

तराजू के बिना किसी पूर्वाग्रह के हर हाल में न्याय करने के पक्ष को बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत करते छंद 

कभी बोलिये जो उसे तौलिए, भाव के दोलने में, सुझाये तराज़ू ...................बहुत सुन्दर बात 

मनोभावना या मनोवृत्तियों की दशा के सभी पक्ष सापेक्ष लाता....................वाह! तराजू की पहुँच यहाँ तक...गहन अभिव्यक्ति 

तराजू न सोचे किसे ’क्या’ मिला है, बिना मोह दायित्व सारे निभाता............ प्रदत्त संज्ञा शब्द की आत्मा को सहेजती पंक्ति 

इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आ० सौरभ जी 

आदरणीया प्राचीजी, आपकी दृष्टि ने पंक्तियों से बीजतत्त्व ढूँढ निकाले हैं. आपने रचनाकर्म को मान दे कर उत्साहित किया है.
हार्दिक धन्यवाद

आदरणीय सौरभ सर, महाभुजंगप्रयात सवैया छंद में बहुत ही सुन्दर पदों की रचना हुई है. 122 की आठ बार आवृत्ति जिसमे दो लघुओं का द्विकल एक बार भी नहीं आया. निरंतर ....  लघु-गुरु-गुरु- लघु-गुरु-गुरु- लघु-गुरु-गुरु- लघु-गुरु-गुरु.. इस आवृत्ति में ऐसा सधा वाक्य संयोजन देखकर चकित हूँ. प्रत्येक पंक्ति अपने साथ बहा ले जा रही है. इस सधे शिल्प में एक एक शब्द मोती की तरह जड़ा हुआ लग रहा है. तीनों पदों में शिल्प साधने में कहीं भी भाव सम्प्रेषण प्रभावित नहीं हुआ है. तराजू के वैशिष्ट्य को अभिव्यक्त करते और परिभाषित करते एक एक शब्द का अपने मर्म को संप्रेषित करने में सफल है. गुनगुनाते हुए शब्द झंकृत हो रहे है और भाव दिल में उतारते जा रहे है. इस प्रस्तुति में कठिन छंद को जिस सहजता से आपने निभाया है वह चकित कर रहा है. हम नए अभ्यासियों के लिए ये पद उदाहरण है और प्रेरणा भी. नमन इस प्रस्तुति पर.

तराजू न सोचे किसे ’क्या’ मिला है, बिना मोह दायित्व सारे निभाता......... प्रदत्त विषय के मर्म को पूर्णतः अभिव्यक्त करने में सफल पंक्ति....

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
4 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
11 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
19 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service