आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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लघुकथा अच्छी है भाई पंकज जी, मगर इसमें तमाशबीन विषय को परिभाषित हुआ ही नहीं I
आदरणीय विजय जोशी जी सनसनाहट के चक्कर में कथा अपने मूल विषय से भटकी प्रतीत हो रही है। सादर
आ० पंकज जी ,निःसंदेह कहानी जबरदस्त है किन्तु वही बात विद्वद्जन पहले ही कह चुके हैं जो कहना चाहती थी फिलहाल कहानी के लिए तो आप बधाई के पात्र हैं ही |
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