For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आशीष यादव's Discussions (767)

Discussions Replied To (486) Replies Latest Activity

"बहुत खूब हबीब सर,  मै किस शेर पर दाद दूँ, हर एक शेर बहुत सुन्दर लगा| एक सुन्दर ग़ज़ल प…"

आशीष यादव replied Jan 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"शाखों से फूल तोड़ कर राहों में फेंक दो यूँ छोड़ दी कश्ती मेरी उसने सैलाब में waah, …"

आशीष यादव replied Jan 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"खुबसूरत ग़ज़ल कही है सर, बधाई कुबूल कीजिये|"

आशीष यादव replied Jan 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"भ्रष्ट - आचरण का सफाया हो पेट से , आस है "अन्ना" के दिखाए जुलाब में. kya khubsurat p…"

आशीष यादव replied Jan 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"जिसमें था फ़ायदा, लिया वो ही हिसाब में यूँ तो लिखा हुआ था बहुत कुछ किताब में  बिलकुल…"

आशीष यादव replied Jan 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"सब छोडकर सदा पढना बाब प्यार का  पा लोगे जिन्दगी बस इस एक बाब में | खुद को भुला देना…"

आशीष यादव replied Jan 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"सुन्दर प्रहार, ब्रम्हास्त्र ही छोड़ दिया आपने| सभी शे'र बहुत अच्छे लगे| बहुत अच्छी लग…"

आशीष यादव replied Jan 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"जो दिन ख़ुशी के थे, यूँही पल में गुज़र गए,अब देखें क्या बचा है, जहान-ए-खराब में. वाह…"

आशीष यादव replied Jan 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"देर से reply के लिए क्षमा चाहता हूँ, बहुत ही अच्छी लगी ये ग़ज़ल| सभी शेर बहुत ही अच्छे…"

आशीष यादव replied Jan 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

सदस्य टीम प्रबंधन

"मै सोच रहा हूँ वहाँ होना कितना सुखद रहा होगा | रपट पढ़कर  मै तो सचमुच वहीँ पहुच  गया…"

आशीष यादव replied Dec 25, 2011 to दिल्ली के गुलाबी मौसम में सम्मिलन सह काव्य-गोष्ठी

27 Sep 26, 2016
Reply by योगराज प्रभाकर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
1 hour ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
5 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
5 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
5 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
5 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
6 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service