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योगराज प्रभाकर replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"अच्छे मुक्तक रचे हैं, बधाई स्वीकारें।"

योगराज प्रभाकर replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"सुन्दर गीत हुआ है, हार्दिक बधाई। काँव शब्द अच्छा नही लग रहा है आ० लड़ीवाला जी।"

योगराज प्रभाकर replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"पंचों दोहे सुन्दर, सरस तथा विषयानुकूल रचे हैं आ० अशोक कुमार रक्ताले जी, बहुत बहुत बध…"

योगराज प्रभाकर replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"//हाँफ हाँफ   कर  रेतीले  पथ  ढूँढा  करती  धूपजंगल जंगल छिपती फिरती लेकिन घायल छाँव।…"

योगराज प्रभाकर replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"संकलन आने के बाद .."

योगराज प्रभाकर replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"अच्छी कविता है... बधाई प्रेषित है. इस रचना में दो बार "धूप" को "धुप" लिखा है जो बदमज़…"

योगराज प्रभाकर replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"//हैं घने पेड़ों के जैसे इस सफर में रिश्ते सब,छाँव इनकी जो मिले तो हो सहज जाती डगर।//…"

योगराज प्रभाकर replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"तीनो कुण्डलिया छंद बेहद अर्थगर्भित और उम्दा रचे हैं भाई सतविन्द्र कुमार जी, हार्दिक…"

योगराज प्रभाकर replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"//पूर्ण नहीं हैधूप कभी कहीं सेछाँव बगैर ।// वाह बहुत ही कलात्मक प्रस्तुति, बेहद सुं…"

योगराज प्रभाकर replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

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