For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत: निर्माणों के गीत गुँजायें... संजीव वर्मा 'सलिल'

नवगीत:

निर्माणों के गीत गुँजायें...

संजीव वर्मा 'सलिल'

*
निर्माणों के गीत गुँजायें...

*

मतभेदों के गड्ढें पाटें,

सद्भावों की सड़क बनायें.

बाधाओं के टीले खोदें,

कोशिश-मिट्टी-सतह बिछायें.

निर्माणों के गीत गुँजायें...

*
निष्ठां की गेंती-कुदाल लें,

लगन-फावड़ा-तसला लायें.

बढ़ें हाथ से हाथ मिलाकर-

कदम-कदम पथ सुदृढ़ बनायें.

निर्माणों के गीत गुँजायें...

*

विश्वास-इमल्शन को सींचें,

आस गिट्टियाँ दबा-बिछायें.

गिट्टी-चूरा-रेत छिद्र में-

भर धुम्मस से खूब कुटायें.

निर्माणों के गीत गुँजायें...

*

है अतीत का लोड बहुत सा,

सतहें सम कर नींव बनायें.

पेवर माल बिछाये एक सा-

पंजा बारम्बार चलायें.

निर्माणों के गीत गुँजायें...

*
मतभेदों की सतह खुरदुरी,

मन-भेदों का रूप न पायें.

वाइब्रेशन-कोम्पैक्शन दें-

रोलर से मजबूत बनायें.

दूरियाँ दूरकर एक्य बढ़ायें.

निर्माणों के गीत गुँजायें...

*

राष्ट्र-प्रेम का डामल डालें-

प्रगति-पन्थ पर रथ दौड़ायें.

जनगण देखे स्वप्न सुनहरे,

कर साकार, बमुलियाँ गायें.

निर्माणों के गीत गुँजायें...

*
श्रम-सीकर का अमिय पान कर,

पग को मंजिल तक ले जाएँ.

बनें नींव के पत्थर हँसकर-

काँधे पर ध्वज-कलश उठायें.

निर्माणों के गीत गुँजायें...

*
टिप्पणी: इमल्शन = सड़क निर्माण के पूर्व मिट्टी-गिट्टी की

पकड़ बनाने के लिये डामल-पानी का तरल मिश्रण, पेवर =

डामल-गिट्टी का मिश्रण समान मोटाई में बिछानेवाला यंत्र,

पंजा = लोहे के मोटे तारों का पंजा आकार, गिट्टियों को

खींचकर गड्ढों में भरने के लिये उपयोगी, वाइब्रेटरी रोलर

से उत्पन्न कंपन तथा स्टेटिक रोलर से बना दबाव गिट्टी

-डामल के मिश्रण को एकसार कर पर्त को ठोस बनाते हैं,

बमुलिया = नर्मदा अंचल का लोक प्रिय बुन्देली लोकगीत,

दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम

Views: 506

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanjiv verma 'salil' on July 5, 2010 at 11:55pm
abhar.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on July 5, 2010 at 11:49pm
श्रद्धेय आचार्य जी के चरणों में सादर प्रणाम
बिल्कुल सहज भाव से एवं सहज भाषा के साथ चरित्र रुपी सड़क के निर्माण की बात समझा दी आपने....बचपन में एक गीत गाया करता था..रचनाकार का नाम याद नहीं है...आज उसकी याद आ गई
.
निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें.....
स्वार्थ साधना की आंधी में वसुधा का कल्याण न भूलें...

माना अगम आगाज सिन्धु है संघर्षों का पार नहीं है...
किन्तु डूबना मझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है...
जटिल समस्या सुलझाने को, नूतन अनुसंधान न भूलें.
Comment by sanjiv verma 'salil' on July 5, 2010 at 11:23pm
dhanyavad. yah rachna bitumin sadak ke nirman kary kee site par hee hue ehai.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 5, 2010 at 12:12pm
वाह आचार्या जी, आपने तो सिविल इंजिनियरिंग वाली गीत लिख डाली है, बहुत सुंदर रचना , बहुत बहुत बधाई,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

दोहा सप्तक. . . . . नजरनजरें मंडी हो गईं, नजर बनी बाजार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार…See More
44 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
44 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service