For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रंग सारे हैं जहाँ हैं तितलियाँ (ग़ज़ल)

बह्र : २१२२ २१२२ २१२

 

रंग सारे हैं जहाँ हैं तितलियाँ

पर न रंगों की दुकाँ हैं तितलियाँ

 

गुनगुनाता है चमन इनके किये

फूल पत्तों की जुबाँ हैं तितलियाँ

 

पंख देखे, रंग देखे, और? बस!

आपने देखी कहाँ हैं तितलियाँ

 

दिल के बच्चे को ज़रा समझाइए

आने वाले कल की माँ हैं तितलियाँ

 

बंद कर आँखों को क्षण भर देखिए

रोशनी का कारवाँ हैं तितलियाँ

 ------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 760

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 29, 2016 at 1:08am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जान गोरखपुरी साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 29, 2016 at 1:07am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रवि शुक्ला जी

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 19, 2016 at 10:17pm
वाह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह् उद्भुत,अतुलनीय,अविस्मरणीय,बहुत बहुत बहुत बधाई।
Comment by Ravi Shukla on September 19, 2016 at 9:49pm
वाह वाह आदरणीय धर्मेन्द्र जी किटनिंसादगी ऐ एक उम्दा ग़ज़ल कह दी आपने
पंख देकेहे रंग देखें और बस
आपने देखी कहाँ है तितलियाँ। बहुत खूब दिल से बधाई लीजिये
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 19, 2016 at 7:15pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेश कुमार जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 19, 2016 at 7:14pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर कबीर साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 19, 2016 at 7:14pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जयनित जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 19, 2016 at 7:14pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 18, 2016 at 3:49pm
वाह आदरणीय धर्मेंद्र जी वक्त की मांग को पूरा करती रचना के लिए हार्दिक बधाई । सादर ।
Comment by Samar kabeer on September 18, 2016 at 3:43pm
जनाब धर्मेंद्र कुमार जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ! अच्छी ग़ज़ल से मुशाइरा आरंभ किया आपने। बहुत बधाई! // यूँ वसीयत में तो बेटी…"
9 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हर कहानी को कई रूप रुहानी लिखना जाविया दे कहीं हर बात नूरानी लिखना मौलवी हो या वो मुल्ला कहीं…"
40 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय दयाराम जी ग़ज़ल पर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सादर आदरणीय सौरभ जी आपकी तो बात ही अलग है खैर जो भी है गुरु जी आदरणीय समर कबीर ग़ज़ल के उस्ताद हैं…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी शुक्रिया आदरणीय मंच के नियमों से अवगत कराने के लिए"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, गलती से ऐसा हो गया था। आपकी टिप्पणी के पश्चात ज्ञात हुआ तो अब अलग से पोस्ट कर दी…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"ग़ज़ल - 2122 1122 1122 22 काम मुश्किल है जवानी की कहानी लिखनाइस बुढ़ापे में मुलाकात सुहानी लिखना-पी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरी समर साहब से तीन दिन पहले ही बातें हुई थीं। उनका फोन आया था। वे 'दुग्ध' शब्द की कुल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, आपने शानदार ग़ज़ल कही है। गिरह भी खूब लगाई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी, आपने बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी आपकी प्रस्तुति जयहिंद जी की प्रस्तुति की रिप्लाई में पोस्ट हो गई है। कृपया…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service