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ई ह भोजपुरिया पुड़ी, एकर अकार 12 इंच के डायमीटर के होला. खाए में बहुत ही मोलायम होला आ एह पुड़ी के मोकबला कवनो पुड़ी ना कर सकस. गरम गरम खायीं भा ठंडा करके खायीं, एकर स्वाद अलबत्त लागेला. पातर इतना होखेला की अगर पुड़ी के दोसरा तरफ अपने हाथ रखीं त राउर हाथ के परछाई देखाई देवे लागी. एक और खूबी बा एह पुड़ी के, ई कई दिन तक खराब ना होखे. एकर दोसर नाम "हाथी कान पुड़ी" भी बा..

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वोहो राज भाई, रौआ हमके द्वाबा के पूड़ी ध्यान दिला दिहनी, एह पूड़ी पर त मार हो जाई |

हई तनकी सा बुनिया बाचल बा जे पहिले सुती उ खाई ....

बागी भाई, अपने त ई बुनिय के फोटो देखा के अनर्थ कर दिहनी. हमार पुड़ी आ राउर बुनिया, ओहोहोहो एकरा आगे त छप्पन भोग भी फीका बा महराज. अब कवनो सदस्यगण ई मत कर देस की लोहा के करिया कडाही में बनल आलू आ बैंगन के करिया तरकारी, लऊका के रयितो (राई के बुक के डालल) के फोटो मत डाल देस, हम त कल्हुवे गाँव भाग जायिब. आजकल लगन भी लहालोट भईल बा. सगरो गाजा-बाजा आ नाच-गीत होत होई. ऊपर से भोज-भात के त रंग अलगे जमात होई.
का अंगूरी बुनिया बा जी?!! मुँह में पानी आ गइल.

अब रौआ ना मानब बुझात बा, तरकारी भी देवे के ही पड़ी ....

ha ha ha..........dhanywad.....dekh ke pet bhar gayil jee....
ई पूड़ी बलिया जिला के दोआबा के भा गंगापार भोजपुरिहा बिहार के खासियत हऽ. एकर कवनो जोर नइखे.  तनिका सरजू जी पार कऽ जाईं, माँझी ओरे.. तऽ पूड़ी बिच्कुनिया भऽ जाई.  एह रसाल (आम ना) के जिकर करे खातिर हमार बधाई.
ई कुल व्यंजन देख के मुँह मे पानी आ गइल

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