आदरणीय साथिओ,
आप सब जानते ही हैं कि ओबीओ पिछले एक वर्ष से साहित्य सेवा में पूरी तन्मयता से कार्यरत है ! न केवल इसने नए पुराने साहित्य-धर्मियों को एक उत्तम मंच ही प्रदान किया है, वरण अपने विभिन्न आयोजनों द्वारा रचनाकर्मियों को अपने फन को चमकाने का अवसर भी प्रदान किया है ! ओबीओ द्वारा आयोजित "लाईव तरही मुशायरा" ओर "लाईव महा-उत्सव" अपनी सफलता के झंडे पहले ही अंतर्जाल की दुनिया में गाड़ चुका है ! इसी सिलसिले की अगली कड़ी रही "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता, जिसके पहले अंक का आयोजन दिनांक १६ अप्रैल से २० अप्रैल २०११ तक बहुमुखी प्रतिभा के मालिक श्री अम्बरीश श्रीवास्तव के योग्य संचालन में किया गया !
इस प्रतियोगिता के लिए रचनाधर्मियों को एक देकर उसपर अपनी रचनाएँ लिखने को कहा गया ! कलकत्ता शहर की तपती सड़क पर, लुंगी गंजी पहने, भारी भरकम रिक्शा में सवारी लादे हुए, तमाम भव्यता से बेखबर, अपनी धुन में मस्त उस तस्वीर का कर्मवीर रिक्शावाला अंतत: प्रतियोगिता में सम्मिलित लगभग सभी साहित्यकारों का महानायक हो निपटा ! अक्सर ऐसे विषयों पर लिखते हुए किसी लेखक का भावुक हो जाना बड़ी आम सी बात है, और अक्सर यह भी देखा गया है कि भावुकता में बह गए साहित्य में से कला का पुट कहीं खो जाया करता है ! किन्तु मुझे यहाँ बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि इस आयोजन के दौरान भावुकता मानवीय संवेदना की सीमा रेखा में ही रही और बहुत ही सार्थक रचनायों से हमारा साक्षात्कार हुआ !
क्योंकि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता पहली बार आयोजित की गई थी, इसलिए इसकी सफलता को लेकर हम लोग थोड़ा चिंतित ज़रूर थे! अक्सर देखने में आया है कि "प्रतियोगिता" शब्द को लेकर रचनाधर्मियों में काफी सारी अवधारणायें है, जिसके चलते पहले दो दिन इस आयोजन की गति साधारण से थोड़ा ऊपर रही ! लकिन बाद में जिस उल्लेखनीय ढंग से इसने तेज़ी पकड़ी, उससे हमारा आत्मविश्वास यकीनन बढ़ा ! उसके बाद साहित्यकारों से जिस प्रकार इस में बढ़ चढ़ भाग लिया उसने इस प्रतियोगिता को सफलता प्रदान की ! गद्य और पद्य दोनों ही से रचनाधामियों ने इस आयोजन को सराबोर किया ! जहाँ एक तरफ प्रचलित काव्य विधायों - स्वतंत्र कविता, तुकांत वाली कविता, ग़ज़ल तथा नवगीत ही पेश किए गए. वहीँ दूसरी ओर सनातन भारतीय काव्य बानगियों - दोहा, कुंडली, छंद एवं सवय्ये भी यहाँ देखने को मिले ! कुछेक बहुत ही रुचिकर संस्मरणनुमा लघुकथाएं भी पाठकों को पढने को मिलीं ! रचनाधर्मियों ने ना केवल इस दौरान अपनी स्तरीय रचनाएँ ही पेश की बल्कि अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से समीक्षा व प्रशंसा भी की !
इस अवसर मैं यदि भाई अम्बरीश श्रीवास्तव जी के बारे में कुछ ना कहूँ तो यह सरासर गलत होगा ! श्री अम्बरीश श्रीवास्तव जी ने जिस कुशलता से इस आयोजन को संचालित किया, वह वन्दनीय है ! कोई भी रचना आने के बाद सबसे पहली प्रतिक्रया आप ही की होती थी ! प्रतिक्रिया भी आधे अधूरे मन से नहीं बल्कि एक सम्पूर्ण विश्लेषण की तरह की जो आपके उच्च स्तरीय साहित्यक सोच समझ की परिचायक है ! अधिकाँश रचनायों पर तो आपने उन रचनायों कि एक एक पंक्ति पर अपनी सार्थक समीक्षा दी जिसे देखकर मन गदगद हो गया ! उनकी कार्यकुशलता और सफल संयोजन प्रतिभा ही इस आयोजन की सफलता का कारण रही है ! जिसके लिए मैं दिल की गहराईओं से भाई अम्बरीश श्रीवास्तव जी को मुबारकबाद देता हूँ ! ओबीओ में उनको अपने शाना-बशाना पाकर मैं फूला नहीं समा रहा हूँ, उनकी अदम मौजूदगी हम सब के लिए बायस-ए-मसर्रत भी है और बायस-ए-फख्र भी ! अंत में मैं श्री गणेश जी बागी एव भाई प्रीतम तिवारी सहित उन सब साहित्यकारों और साहित्य प्रेमियों का भी शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने अपनी रचनायों और टिप्पणियों से इस आयोजन को सफल बनाया ! जय ओबीओ ! सादर !
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
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आदरणीय शारदा जी
"चित्र से काव्य तक अंक" -२ में जाने के लिए इस लिंक को क्लिक करें :
http://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/5170231:Topic...
फ़िलहाल रिप्लाई बॉक्स बंद है जोकि १६ मई से खोला जायेगा ! तब आप अपनी रचना वहां पोस्ट कर कर सकेंगे ! सादर !
योगराज प्रभाकर
आदरणीया शारदा जी,
सादर अभिवादन,
मैं स्वयम आश्चर्यचकित हूँ कि आप को कैसे सुचना प्राप्त नहीं होती है, हम लोग सभी महत्वपूर्ण आयोजनों कि सुचना आप के उस इ-मेल पर भेजते है जिस इ-मेल के द्वारा आपने अपना प्रोफाइल बनाया है, साथ में OBO मुख्य पृष्ठ पर भी इसकी सुचना लगाईं जाती है, फेस बुक पर भी व्यापक प्रचार किया जाता है |
आप से निवेदन है कि कृपया अपना इ-मेल सदैव चेक करती रहे और अपने ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार का भ्रमण नियमित करती रहे |
धन्यवाद सहित
एडमिन
आदरणीया शारदा जी,
सादर प्रणाम !
आपको आदरणीय योगराज जी नें वांछित जानकारी उपलब्ध करा दी है ! उपरोक्त लिंक पर चित्र देखकर कृपया अपनी तैयारी कर लें तथा दिनांक १६-०५-२०१० को प्रतिभागिता सुनिश्चित करें ! धन्यवाद |
Shrdheyy Prabhakar ji,
Mujhe bahut khushi hai ki OBO din dooni raat chuguni tarakki kar raha hai. Ye sab aapka aur aapke sahyogi dal ke kathin prishram ka hi parinaam hai. Meri aur se dher sari badhayi sweekar karein.
bhavdiy,
Dharmender
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