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प्रतियोगिता परिणाम : "चित्र से काव्य तक" अंक -१

नमस्कार साथियों !

"चित्र से काव्य तक" अंक-१ प्रतियोगिता से संबधित निर्णायकों का निर्णय मेरे पास आ गया है जिसे आप सब तक पहुँचाने का दायित्व मुझे सौंपा गया है | लगातार पाँच दिनों तक चली यह प्रतियोगिता बड़ी ही उत्साहवर्धक रही जिसके अंतर्गत कुल ५१६ रिप्लाई पोस्ट की गयी हैं जिसमें दोहा, गज़ल, कुंडली, सवैया, रुबाई, गीत-नवगीत मुक्तिका व छंदमुक्त सहित लगभग सभी विधाओं में रचनाएँ देखनें को मिलीं , सबसे खास बात तो यह है कि लगभग सभी रचनाएँ स्तरीय रहीं......इसके अतिरिक्त यह भी उल्लेखनीय है कि प्रतियोगिता के आयोजकों एवं संचालकों यथा भाई योगराज जी , भाई बागी जी, भाई तिलक राज कपूर, भाई राणा जी, भाई धर्मेन्द्र जी आदि सहित कुछ अन्य मित्रों नें भी प्रतियोगिता से बाहर रहकर मात्र उत्साहवर्धन के उद्देश्य से ही अपनी-अपनी स्तरीय रचनाएँ तो पोस्ट कीं ही साथ-साथ अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से समीक्षा व प्रशंसा भी की जो कि इस प्रतियोगिता की गति को बढ़ाने में टानिक का काम करती रहीं |

इस सराहनीय कार्य के लिए इन सभी मित्रों का बहुत-बहुत आभार...


प्रतियोगिता का निर्णय इस प्रकार है...



प्रथम स्थान : कुंवर योगेन्द्र बहादुर सिंह उर्फ़ "आलोक सीतापुरी" द्वारा प्रस्तुत कुण्डलिया छंद


//भारत में गति प्रगति की यद्यपि है भरपूर.
खून पसीने से मगर लथपथ है मजदूर.
लथपथ है मजदूर खेल जीवन का खेले.
नंगे पैरों दौड़ दौड़ कर ठेला ठेले.
कहें सुकवि आलोक नशे की है सबको लत.
परदे में बेपर्द जवानी जय हो भारत..//

द्वितीय स्थान : जनाब चैन सिंह "शेखावत" जी द्वारा प्रस्तुत मुक्त छंद


//बाज़ार की जरुरत हूँ मैं
लेकिन बाज़ार से बहिष्कृत
चकाचौंध पुते चेहरों की किसी भी चर्चा में
रिक्शे के चक्के सा धरासीन धराशायी
इन रोशनियों में शामिल क्योंकर नहीं मैं
षड्यंत्रों की बू के इस सिलसिले में
आखिरी कड़ी नहीं हूँ
एक तोहमत को तहमद की तरह लपेटे हूँ माथे पर
इस धौंकनी में कभी कोई बवंडर नहीं
आँधियों की पदचाप नहीं
वीतराग सी सहिष्णुता ओढ़े मेरी देह
पसीने संग बहा देती है कसैलापन
तमाम वादों आश्वासनों घोषणाओं और दावों के मद्देनज़र
यह नंगापन तुम्हें ढोंग सा नज़र आता है
धवजवाहक कहाँ का
जबकि इन उजली ध्वजाओं पर लगे
पैबंद सा दिखता हूँ
देर रात या फिर तड़के
साँसों का शोर जब मंद पड़ने लगता है
जंघाओं और पिंडलियों और भुजाओं में तैरता दर्द
समा नहीं पाता शरीर में
कलकत्ते का जश्न
जोर पकड़ने लगता है//

प्रथम व द्वितीय स्थान के उपरोक्त दोनों विजेताओं को सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से बहुत-बहुत बधाई...

उपरोक्त दोनों विजेता आगामी "चित्र से काव्य तक- प्रतियोगिता अंक २" के निर्णायक के रूप में भी स्वतः नामित हो गए हैं |
अंत में हम सभी की ओर से इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के सदस्यों, आदरणीय योगराज प्रभाकर जी व आदरणीय राणा प्रताप सिंह जी का विशेष रूप से आभार  ..........

जय ओ बी ओ !
सादर:
अम्बरीष श्रीवास्तव

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Replies to This Discussion

दोनों विजेताओं को बहुत बहुत बधाई|
धन्यवाद आपका..
चैन सिंह शेखावत जी को बधाई |
धन्यवाद सिंह साहब |
badhai dono vijeta ko.....
धन्यवाद प्रीतम जी |
"चित्र से काव्य तक" अंक १ प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त आदरणीय श्री कुंवर योगेन्द्र बहादुर सिंह उर्फ़ "आलोक सीतापुरी" जी तथा द्वितीय स्थान प्राप्त आदरणीय श्री चैन सिंह "शेखावत" जी को बहुत बहुत बधाई |
धन्यवाद...
धन्यवाद गणेश जी बागी जी |
सर्वप्रथम इस अनूठे प्रतियोगिता के अनूठे विजेताओं को ढेर सारी बधाईयाँ.

"चित्र से काव्य तक" की ये काव्य-प्रतियोगिता, अपने आप में अनूठी थी. किसी मूक छवि के भाव को शब्दों में पिरोकर कविता के रूप में अलंकृत कर दिया गया और इस बात को सिद्ध कर दिया गया की "तस्वीरें भी बहुत कुछ बोलती हैं". भाई वाह, बहुत ही सुन्दर प्रयास था ये और आशा है की आगे भी इसके अंक आयोजित होते रहेंगे.

इस प्रतियोगिता को सफल बनाने वाले हरेक सदस्यगण, आयोजकगण को भी ढेर सारी बधाईयाँ और कोटिशः आभार.

--------राज
धन्यवाद पाण्डेय  जी |

आदरणीय आर०  के०  पाण्डेय जी ,
इस अभूतपूर्व आयोजन को सराहने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार ! आशा है भविष्य में भी आपका सहयोग इसी तरह हमें मिलता रहेगा ...........सादर: अम्बरीष श्रीवास्तव, अध्यक्ष, ("चित्र से काव्य तक" ग्रुप)

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