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जो लक्ष्य से भटका नहीं

जो लक्ष्य से भटका नहीं,                       

जो हार पर अटका नहीं,                          

जीत पक्की है उसी की,                           

राह में खटका नहीं।                             

लगन है अटूट जिसकी,                             

और है पक्का इरादा,                                

पास उस रणवीर के,                                

काल भी फटका नहीं।                           

मजबूत हैं जिसके इरादे,                            

लौह पुरुष की तरह,                                  

चट्टान टकराये अगर,                                 

काँच भी  चटका नहीं।                           

चुनौतियां भी हों बड़ी,                             

और रास्ते चाहे कठिन,                            

विश्वास हो, विधि साथ हो,                           

मझधार में अटका नहीं।                        

अजय शर्मा  "अज्ञात"

मौलिक एवं अप्रकाशित।

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Comment by Ajay Kumar Sharma on November 8, 2015 at 10:44pm

राहिला जी उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु आदर पूर्वक धन्यवाद।

Comment by Rahila on November 8, 2015 at 4:23pm
बहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय अजय जी! बहुत बधाई ।
Comment by Ajay Kumar Sharma on November 7, 2015 at 10:31pm

आप सभी आदरणीय श्रेष्ठ जनों का आभार। आप सभी महानुभावों से

मार्गदर्शन की अभिलाषा है।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 7, 2015 at 5:31pm

आदरणीय इस अभिव्यक्ति के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Abid ali mansoori on November 6, 2015 at 11:28pm

वधाई स्वीकारें आदरणीय़ महोदय!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 6, 2015 at 1:33pm

आदरणीय अजय जी सुन्दर भावाभिव्यक्ति हुई है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर 

कृपया ध्यान दे...

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