संयुक्त अक्षरों की मात्रा गणना: 
 (आदरणीय संजीव वर्मा 'सलिल' जी से वार्तालाप के आधार पर )
•जब दो अक्षर मिलकर संयुक्त अक्षर बनाते हैं तो जिस अक्षर की आधी ध्वनि होती है उसकी गणना पूर्व अक्षर के साथ होती है. 
 यथा: अर्ध = (अ + आधा र) + ध = २ + १ = ३
 मार्ग = (मा + आधा र) + ग = २ + १ = ३
 दर्शन = (द + आधा र) + श + न = २ + १ + १ = ४
•आधे अक्षर के पहले दीर्घ या बड़ा अक्षर हो तो आधा अक्षर उसके साथ मिलकर उच्चरित होता है इसलिए मात्रा २ ही रहती हैं. ढाई या तीन मात्रा नहीं हो सकती.
 क्ष = आधा क + श
 कक्षा = (क + आधा क) + शा = २ + २ = ४
 क्षत = (आधा क + श ) + त = १ + १ = २
 विक्षत = ( वि + आधा क ) + श + त = २ +१+१ = ४
 ज्ञ = आधा ज + ञ
 विज्ञ = (वि + आधा ज) + ञ = २ + १ = ३
 ज्ञान की मात्रा ३ होगी, पर विज्ञान की मात्रा ५ होगी
 त्र में त तथा र का उच्चारण एक साथ होता है अतः त्र की मात्रा भी १ होगी 
 पत्र = २ + १ = ३ 
 पात्र = २ + १ = ३
•संयुक्त अक्षर यदि प्रथम हो तो अर्ध अक्षर की गणना नहीं होती 
 प्रचुर १+१+१ = ३
 त्रस्त = २ + १ = ३
 क्षत = (आधा क + श ) + त = १ + १ = २
•जिन्हें तथा उन्हीं की मात्रा गणना किस प्रकार होगी ?
 जिन्हें तथा उन्हीं को जोर से बोलिए अप पहले जि फिर न्हें तथा उ फिर न्हीं बोलेंगी. इसी अधार पर गिनिए. मात्रा गणना के नियम ध्वन-विज्ञान अर्थात उच्चारण के अधार पर ही बने हैं.
 उन्हीं = उ + (आधा न + हीं) = १ + २ = ३
 जिन्हें = जि + (आधा न + हें) = १ + २ = ३ 
•मात्रा गणना बिलकुल आसान है . शब्द को जोर से बोलिए... उच्चारण में लगने वाले समय का ध्यान रखें. कम समय लघु मात्रा १, अधिक समय दीर्घ मात्रा २ . कुल इतना है... शेष अभ्यास...
 बोलकर अंतर समझें कन्या, हंस आदि में ‘न’ का उच्चारण क्रमशः ‘क’ व ‘ह’ के साथ है. कन्हैया में ‘न’ का उच्चारण ‘है’ के साथ है क + न्है + या
 कन्या = (क + आधा न) + या = २ + २ = ४
 हंस = (ह + आधा न) + स = २ + १ = ३ 
 कन्हैया = क + न्है + या = १ + २ + २ = ५
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आदरणीय श्री सुनीलजी, जैसा कि आपको भी ज्ञात है, त्र की मात्रा १ ही होगी. आलेख में यह दोष है. यह संयुक्ताक्षर होने से सारे नियम तदनुरूप होंगे. वस्तुतः आदरणीया प्राचीजी का यह लेख तबका है जब वे मात्रिकता सीख रही थीं. यह इस लेख में लिखा भी गया है कि उन्होंने जैसा सीखा वैसा ही प्रस्तुत करने का प्रयास किया है. लेकिन अबतक अभ्यास से उन्हें भी यह ज्ञात हो चुका है कि त्र भी क्ष और ज्ञ की तरह ही संयुक्ताक्षर हैं. यह अवश्य है कि इस लेख में आवश्यकतानुसार संशोधन हो जाना था जो कि नहीं हो पाया है.
इस दोष का निराकरण आपके माध्यम से होना था, आदरणीय.
सादर
आदरणीय सौरभ जी और आदरणीय सुनील जी
क्ष त्र व ज्ञ की मात्रा गणना सामान ही होती है.... ये आलेख तो लगभग तीन साल पहले का है, जिसमें मैं ये संशोधन नहीं कर सकी. इस त्रुटी की तरफ इंगित करने के लिए सुनील जी का व संशोधन करने के लिए आ० सौरभ जी का हार्दिक धन्यवाद
सादर
आदरणीय श्री सुनीलजी, आलेख में भी यथानुरूप संशोधन हो गया है.
इस सहयोग केलिए सादर आभार
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