For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122
मेघ जब होता सजल है,
नेह हो जाता नवल है।
ख्वाहिशों की दूब सूखी,
चाहती कुछ तो चपल है।
देह जो बेसुध पड़ी है,
ढूँढती फिर से पहल है।
शब्द कबसे कर रहा अब,
भाव भूले की टहल है।
मौन रुख अब माँग लूँ मैं,
मन अभी जाता मचल है।
होंठ सूखे,जीभ जलती,
लद गये हैं मेघ जल है।
भींग जाने दो अभी भी,
मान तेरा जो अचल है।
मानता हूँ मानिनी मैं,
प्यार तेरा तो अतल है।
मान जा,री मान तज कर,
आखिरी मेरी पहल है।
"मौलिक व अप्रकाशित"@मनन

Views: 416

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on August 6, 2015 at 11:10pm
आदरणीय जवाहर जी,आभार आपका।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 6, 2015 at 9:19am

वाह बहुत ही सुन्दर! हर पंक्तियाँ बेहद ही खूबसूरत हुई है 

Comment by Manan Kumar singh on August 5, 2015 at 8:53pm
आदरणीय कृष्ण मिश्र जी,शेर-दर-शेर सराहना के लिए आपका आभार।
Comment by Manan Kumar singh on August 5, 2015 at 8:51pm
आदरणीय गिरिराज भाई,प्रेरणा हेतु आपको धन्यवाद६
Comment by Manan Kumar singh on August 5, 2015 at 8:49pm
श्रद्धेय मिथिलेश जी, शेर इंगित कर सराहना हेतु धन्यवाद आपको
Comment by Manan Kumar singh on August 5, 2015 at 8:47pm
श्रद्धेय रवि शुक्ला जी,आभार आपका।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on August 5, 2015 at 7:31pm

मेघ जब होता सजल है,
नेह हो जाता नवल है।..........बहुत सुन्दर मतला


ख्वाहिशों की दूब सूखी,
चाहती कुछ तो चपल है।.......क्या कहने

देह जो बेसुध पड़ी है,
ढूँढती फिर से पहल है।..................वाह वाह!

बहुत ख़ूब आदरणीय! हार्दिक बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2015 at 1:45pm

आदरणीय मनन भाई , छोटी बहर मे अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 5, 2015 at 12:21pm

मेघ जब होता सजल है,
नेह हो जाता नवल है।

मान जा,री मान तज कर,
आखिरी मेरी पहल है।

आदरणीय मनन जी बढ़िया प्रस्तुति ... आपको हार्दिक बधाई 

Comment by Ravi Shukla on August 5, 2015 at 12:19pm

आरणीय मनन जी

ग़जल़ के शिल्‍प के लिये बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय इस मंच पर न कोई उस्ताद है न कोई शागिर्द। यहां सभी समवेत भाव से सीख रहे हैं। यहां गुरु चेला…"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service