For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नर्मदा के एक ऊंचे कगार पर खड़ा मै प्रकृति के अप्रतिम सौन्दर्य का अवलोकन कर रहा था कि एक ग्यारह वर्ष का बालक मेरे पास आया और बोला –‘बाबू जी मै इस कगार से नर्मदा मैया में छलांग लगाऊंगा तो तुम मुझे पांच रुपये दोगे ?’
‘क्यों, तुम इतना खतरा क्यों उठाओगे ?’
‘कल से खाना नहीं खाया, बाबू जी ‘
मैंने उसे दस रुपये दे दिए I वह मेरे पैरो मे लोट गया I तभी मुझे एक जोरदार ‘छपाक’ की आवाज सुनायी दी और उसके साथ ही एक ह्रदय विदारक चीख I मैंने घबरा कर नीचे देखा I एक दूसरा लड़का कगार से कूदा था पर उसका संतुलन बन नहीं पाया था I
‘माँ ने इसका उद्धार कर दिया, बाबू जी ‘ वह लड़का धीरे से बोला –‘एक दिन मेरा भी करेगी I’

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 558

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 27, 2014 at 7:59pm

श्याम  नारायन वर्मा  जी

सादर आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 27, 2014 at 7:58pm

जीतू भैया

नव्  वर्ष आपको भी शुभ हो  i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 27, 2014 at 7:56pm

आ० वंदना  जी

आपकी बातो से सहमत हूँ i सादर आभार  i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 27, 2014 at 7:54pm

आ० अर्चना जी

आपका  आभार

Comment by Shyam Narain Verma on December 27, 2014 at 2:37pm

इस सुंदर संदेशप्रद लघु कथा के लिए तहे दिल बधाई सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 27, 2014 at 12:05pm

एक वास्तविक घटना को, बहुत व्यवस्थित रूप दिया आपने आदरणीय डा.गोपाल जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें. नववर्ष की शुभकामनाएं आपको.

सादर!

Comment by vandana on December 27, 2014 at 5:41am

विडंबना ही कही जायेगी इस देश की कि एक ओर  500 करोड़ और1000 करोड़ का व्यापार दिखाते दिन भर गहनों से लदी घूमती नायिकाओं वाले सीरिअल दिन में तीन तीन बार प्रसारित किये जाते हैं जिनका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं और जो घरों में क्लेश बढ़ा रहे हैं मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर बना रहे रहे हैं और एक ओर वास्तविक चित्रण करती यह लघुकथा जिसे वास्तव में प्रसारित होना चाहिए ताकि लोग संघर्ष के अर्थ को समझ सकें और अपनी उपलब्द्धियों को सराह कर मजबूत जीवन जी सकें 

सादर नमन आदरणीय गोपाल सर आपकी लेखनी को 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 26, 2014 at 12:06pm

सोमेश जी

आपका आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 26, 2014 at 12:05pm

आ० सौरभ जी

आपका आशीर्वाद मिला i मन प्रसन्न  i सादर  i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 26, 2014 at 12:04pm

प्रतिभा त्रिपाठी जी

आपका  आभार i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service