For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहंकार ना

कभी आ जाये हमें

दिन न आये |

 

मनमोहन

छेड़े बंसी की तान

झूमती आऊं |

 

तनहा तुम

देगा न कोई साथ

खयाल रहे |

प्रकृति हमें

देती सब संपदा

लगाएं वृक्ष |

 

समेट रही

आँचल में अपने

पुष्प बिखरे |

         

अजनबी हम

चलते रहे साथ

इक दूजे के |

 

माता का हाथ

रहे सदैव माथ 

धन्य जीवन |

 

पारिजात है

जमीं पर बिखरे

समेटूँ सारे |

 
मीना पाठक 
मौलिक/अप्रकाशित 

 

Views: 601

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on July 12, 2014 at 6:29pm

आदरणीया मंजरी जी ..प्रिय वेदिका बहुत बहुत आभार 

Comment by Meena Pathak on July 12, 2014 at 6:28pm

आदरणीय सौरभ सर आदरणीया प्राची जी..आप के कहेनुसार आगे से ध्यान रखूँगी ...यूँ ही आप सभी का मार्गदर्शन मिलता रहे यही आशा करती हूँ | सादर आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 10, 2014 at 2:31pm

हायकू प्रयास के लिए बधाई आ० मीना जी 

आपको सार्थक सुझाव मिले हैं...इस विधा की महीनीयत को समझना बहुत ज़रूरी है 

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 6:53pm

भाई गणेशजी और आदरणीय बृजेशजी के कहे को हाइकु का मूलभूत सिद्धांत समझें आदरणीया मीनाजी.

प्रयास बना रहे.  आपकी प्रस्तुति के लिए हृदय से बधाइयाँ.

सादर

Comment by mrs manjari pandey on July 3, 2014 at 9:01pm
आदरणीया मीना जी सुन्दर चिंतन भाव। बधाई
Comment by वेदिका on July 2, 2014 at 12:58am
आ0 बृजेश जी के कथन से सहमति रखती हूँ, सद्प्रयास पर बधाई आदरणीय मीना दीदी!
Comment by Meena Pathak on July 1, 2014 at 4:35pm

प्रिय जितेन्द्र .. बहुत बहुत आभार | सस्नेह 

Comment by Meena Pathak on July 1, 2014 at 4:34pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी ..सहमत हूँ आप से  | सादर 

Comment by Meena Pathak on July 1, 2014 at 4:32pm

आदरणीय पंकज जी दिल से आभार स्वीकारें | सादर | 

Comment by Meena Pathak on July 1, 2014 at 4:31pm

आदरणीय विजय शंकर जी रचना पसन्द करने हेतु सादर आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service