For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-46

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 46 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का तरही मिसरा आज के दौर के सबसे बड़े शायर जनाब मुज़फ्फर हनफ़ी साहब की एक ग़ज़ल से लिया गया है| पेश है मिसरा-ए-तरह

 

"अपना भी कोई ख़ास निशाना तो है नहीं "

221        2121    1221     212

मफ़ऊलु फाइलातु मुफ़ाईलु फाइलुन

( बह्रे मुजारे मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ )

रदीफ़ :- तो है नहीं
काफिया :- आना (निशाना, खज़ाना, बहाना, पुराना आदि )

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 26 अप्रैल दिन शनिवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 27 अप्रैल दिन रविवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन से पूर्व किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | ग़ज़लों में संशोधन संकलन आने के बाद भी संभव है | सदस्य गण ध्यान रखें कि संशोधन एक सुविधा की तरह है न कि उनका अधिकार ।

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 26 अप्रैल दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 16366

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत खूब  जनाब इमरान खान साहब  उम्दा मतले और  मक्ते सहित  खूबसूरत ग़ज़ल  हुई है।  बहुत बधाई। 

आवारगी में और गँवाना तो है नहीं,
है अस्ल ज़िन्दगी ये फसाना तो है नहीं।............बहुत अच्छा कहा है !

आदरणीय इमरान खान साहब सादर, अच्छी गजल हुई है हर शेर कमाल है दिली मुबारकबाद लें. सादर.

कहते नहीं कभी तुम्हें करके दिखायेंगे,
बेकार का ही शोर मचाना तो है नहीं।.......वाह वाह क्या बात है  

बेकार का ही शोर मचाना तो है नहीं।

इमरान सर्द है तो कभी गर्म है समां

मौसम हो या नसीब ठिकाना तो है नहीं

//बहुत खूब

हर शेर कमाल है आपका, आदरणीय इमरान जी, बहुत प्रभावशाली गजल के लिए आपको हार्दिक बधाई

कहने को पा रहा है तरक्की तो मुल्क पर,
भूखों को कितने आज भी खाना तो है नहीं।....कितना गंभीर!

इमरान सर्द है तो कभी गर्म है समां

मौसम हो या नसीब ठिकाना तो है नहीं....शानदार!

इमरान सर्द है तो कभी गर्म है समां

मौसम हो या नसीब ठिकाना तो है नहीं

वाह, वाह क्या कहने....इस बेहतरीन अश'आर पर लाखों दाद................

बहुत खूब इमरान खान साहब .. मुरस्सा ग़ज़ल हुई है

इश्के बुतां में तुझको भुलाना तो है नहीं
खुद की नज़र में खुद को गिराना तो है नहीं।

सोचा न कर कि लौट के जाना तो है नहीं
ये देह की सराय ठिकाना तो है नहीं।

आकर मिले मुझे, वो ज़माना तो है नहीं
मेरा भी कोई ठौर ठिकाना तो है नहीं।

दिल का सुकून फिर से गँवाना तो है नहीं
जो ख़्वाब सो गया है, जगाना तो है नहीं

तुझको हरा के खुद को हराना तो है नहीं
भारी बहुत है बोझ उठाना तो है नहीं।

दिल है मगर किसी पे लुटाना तो है नहीं
इक रोग उम्र भर का लगाना तो है नहीं।

किसने दिया, किसी को बताना तो है नहीं
ताज़ा अभी है दर्द, पुराना तो है नहीं।

चीखो, किसी ने सुनना सुनाना तो है नहीं

मज़लूम का विरोध तराना तो है नहीं

तरकश भरा हुआ है मगर हाथ रुक गये
‘’अपना भी कोई ख़ास निशाना तो है नहीं।‘’

मौलिक एवं अप्रकाशित:

पुछल्ला
शायर हूँ शायरी से सताना तो है नहीं
सौ शेर कह लिये हैं सुनाना तो है नहीं। 

इस आयोजन में  आपकी रचना पर आपकेा बधाई आदरणीय हमारा प्रणाम स्‍वीकार करें

धन्‍यवाद भाई।

प्रणाम मान्यवर, आपकी रचना एक  पाठ की तरह पाठ कर रहा हूँ, आशीर्वाद प्रदान करें...

चीखो, किसी ने सुनना सुनाना तो है नहीं

मज़लूम का विरोध तराना तो है नहीं

तरकश भरा हुआ है मगर हाथ रुक गये
‘’अपना भी कोई ख़ास निशाना तो है नहीं।‘’

क्या बात है..

धन्‍यवाद भाई। 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
24 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय Amit Kumar "Amit" जी आदाब  ग़ज़ल अभी बहुत सारा वक़्त और अभ्यास चाहती है। कई…"
28 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सादर प्रणाम sir जी 🙏धन्यवाद sir जी मंच पर पहली बार शामिल हुआ हूँ sir जी मैं कोशिश करुँगा और अच्छा…"
32 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सादर नमन आदरणीया जी धन्यवाद आपका मैं पुनः प्रयास करता हूँ 🙏"
35 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"बेहतरीन सृजन हुआ है पितातुल्य 🙏अद्वितीय सृजन 🙏"
37 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"बेहतरीन सृजन हुआ है आदरणीय जी 🙏"
38 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सादर प्रणाम पितातुल्य 🙏धन्यवाद sir जी आपका 🙏"
39 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"अनुपम सृजन हुआ है sir जी 🙏"
40 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय नीलेश भाई , बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें लम्बी गैरहाजिरी के बाद…"
40 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सादर नमन आदरणीया जी 🙏"
43 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मयंक भाई , ग़ज़ल का बढ़िया प्रयास हुआ है , बधाई गुणी जन की सलाहों पर ध्यान दीजिएगा "
44 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सादर नमन sir जी 🙏"
45 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service