For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलियाँ लिखने का प्रयास! (कृपया गुण दोष निकालें)

1.

मनमोहन को देखिये, बोल रहे हैं बैन
सोना नाहि खरीदिये, जाए दिल का चैन
जाए दिल का चैन, लम्पट लूट ले जाए
पैदल चलिए खूब, राखिये तेल बचाए.
विकट घड़ी में देश, पूरे विश्व में मन्दन
मन में रखिये धैर्य, स्वयम कहते मनमोहन!

2.

मेरा उनका आपका, भेद नहीं मिट पाय.
मन में संशय ही रहे, दूरी नित्य बढ़ाय..
दूरी नित्य बढ़ाय, मनुज मन अंतर लाये
झगड़ा रगडा होय,चैन मानव नहि पाए
कहे जवाहर लाल, समझ का है सब फेरा
जाना है सब छोड़, मनुज को तेरा-मेरा

3.

कहते आशाराम हैं, उमर बहत्तर साल,
पोती से न लजात हैं, आई कैसी काल?
आई कैसी काल, संत की मति गयी मारी,
पोती जैसी शिष्य, फंसी दुखिया बेचारी!
करते नीच कुकृत्य, देख सब थू थू करते!
करो सत्य स्वीकार, पुलिस से झूठ न कहते!

4.

पैसा पैसा मत करो, पैसा हाथहि मैल .
एक हाथ से आत है, दूजे बाहर गैल.
दूजे बाहर गैल, गुनीजन जन बतलावें.
मिले मुफ्त में माल, उसे झट घर ले आवें.
खुद पर नहीं बहाल, भला उपदेशहि कैसा,
बापूजी फंस गए, लुटाओ जितना पैसा!

-जवाहर लाल सिंह

 (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 12, 2015 at 12:52pm

आदरनीय रविकर जी और आदरणीय bhramar जी आपसबों का हार्दिक आभार! कोशिश जारी रहेगी 

Comment by रविकर on September 8, 2013 at 6:24pm

सुन्दर भाव भरने का सफल प्रयास किया है आदरणीय आप ने-

शब्दों को आगे पीछे करके गेयता बढ़ाइए-
सादर


इसे कुछ और सुधारिए-

मनमोहन को देखिये, कहें अटपटे बैन
सोना नहीं खरीदिये, लूटें दिल का चैन
लूटें दिल का चैन, लूट ले जाए लम्पट
सदा बचाएं तेल, भागिए पैदल सरपट
विकट घड़ी में देश, सदा मुद्रा अवमूल्यन ।
रखो जवाहर धैर्य, रखें जैसे मनमोहन!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 8, 2013 at 5:13pm

मेरा उनका आपका, भेद नहीं मिट पाय.
मन में संशय ही रहे, दूरी नित्य बढ़ाय..
दूरी नित्य बढ़ाय, मनुज मन अंतर लाये 
झगड़ा रगडा होय,चैन मानव नहि पाए
कहे जवाहर लाल, समझ का है सब फेरा
जाना है सब छोड़, मनुज को तेरा-मेरा

प्रिय जवाहर भाई ... बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ज्ञानदायी ..काश मानव को ये याद रहे तो वो मानव ही बन जाए
...सुन्दर भाव और कथ्य कुछ स्थान पर जरुरत तो है ध्यान की मै भी डॉ प्राची जी से सहमत हूँ

पोती से न लजात है , आया कैसा काल?
आया कैसा काल, संत की मति है मारी,
भ्रमर ५

 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 8, 2013 at 4:22pm

आदरणीया डॉ. प्राची जी, सादर अभिवादन!

आपकी प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हुआ ... मैं ऐसी ही प्रतिक्रिया का इच्छुक भी था. यह मेरी कोशिश है आगे भी जारी रहेगी आपलोगों के सान्निध्य से कसावट भी आयेगी और व्याकरनीय त्रुत्यों को भी सुधरने का हर संभव प्रयास करूंगा ... बहुत बहुत आभार आपका!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 6, 2013 at 2:57pm

सामयिक विषयों पर सुन्दर कुंडलिया प्रयास आ० जवाहर लाल जी .. बहुत बहुत बधाई 

शिल्प यद्यपि सही है फिर भी कथ्य को प्रस्तुत करने के लिए प्रयुक्त शब्दों को और साथ ही कहीं कहीं व्याकरण को थोड़ा और साधने की ज़रूरत है व कथ्य भी और कसावट मांगता है.

सादर शुभकामनाएँ 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 5, 2013 at 8:26pm

आदरणीय गिरिराज जी, रचना पसंद करने और उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 5, 2013 at 8:26pm

आदरणीय बृजेश जी, रचना पसंद करने और उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 5, 2013 at 8:25pm

आदरणीय जितेन्द्र जी, रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 5, 2013 at 8:24pm

आदरणीया अनुपमा जी, रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2013 at 7:14am

आदरणीय जवाहर लाल जी , वर्तमान पर लिखी कुंडली बहुत अच्छी लगी !! बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मनुष्य से आवेग जनित व्यवहार तो युद्धभा में भी वर्जित है और यहां यदा-कदा यही आवेग ही निरर्थक…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी हुई। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपके…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service