For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हुआ बुद्धि-बल अन्ध, भजे रविकर ओसारे-

ओसारे में बुद्धि-बल, मढ़िया में छल-दम्भ |
नहीं गाँव की खैर तब, पतन होय आरम्भ |


पतन होय आरम्भ, बुद्धि पर पड़ते ताले |
बल पर श्रद्धा-श्राप, लाज कर दिया हवाले |


तार-तार सम्बन्ध, धर्म- नैतिकता हारे |
हुआ बुद्धि-बल अन्ध, भजे रविकर ओसारे ||

मौलिक / अप्रकाशित

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on September 4, 2013 at 6:03pm

सुन्‍दरम, अति सुन्‍दरम, सादर

Comment by रविकर on September 4, 2013 at 2:19pm

आदरणीय / आदरेया
आप सभी का बहुत बहुत आभार-
सादर

Comment by Meena Pathak on September 4, 2013 at 9:10am

बहुत सुन्दर ... बधाई स्वीकारें आ० रविकर जी

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 3, 2013 at 10:02pm
आदरणीय रविकरजी भारतीय छंद विधा में व्यंग का पुट बहुत ही सुंदर प्रयोग बहुत बहुत बधाई ।
Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 9:50pm

पतन होय आरम्भ, बुद्धि पर पड़ते ताले |
बल पर श्रद्धा-श्राप, लाज कर दिया हवाले |///////////बहुत सटीक व्यंग है आदरणीय //हार्दिक बधाई आपको //सादर 

Comment by mrs manjari pandey on September 3, 2013 at 9:02pm

          आदरणीय रविकर जी सुन्देर दोहों के लिये बधाई स्वीकारें  !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2013 at 8:04pm

इन सामयिक कुंडलियों के माध्यम से छल-दंभ पर चोट करने के लिए बधाई भाई श्री रविकर जी 

Comment by बृजेश नीरज on September 3, 2013 at 6:59pm

वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by annapurna bajpai on September 3, 2013 at 4:31pm

आ० रविकर जी उत्तम दोहे , बहुत बधाई आपको । 

Comment by Shyam Narain Verma on September 3, 2013 at 2:56pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service