For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे ब्रम्हा जी की रचना से निर्मित मानव
तुम सोचो मानव
क्या मैने ये ठीक किया था युध्द कराकर,
क्या मैने ये ठीक किया दो पक्छ लडाकर
तुम्ही बताओ क्या मै इसका उत्तरदायी हू
तुम सोचो मानव

राजदूत बनकर पाण्डव का जब मै पंहुचा
बस गाँव मांगने पाँच और कुछ भी न ज्यादा
क्या मै और मेरा राज्य था इतना दुर्बल मानव
कुछ अपने हिस्से के गाँव उन्हे मै दे न पाता
किन्तु उन्हे दे देता तो ये युध्द न होता
क्या मैने ये ठीक किया था बात बढाकर
तुम सोचो मानव

जब मै पँहुचा चीरहरण मे चीर बढाने
एक बेबस अबला की जग मे लाज बचाने
वीर धरा के सारे बैठे मूक वहाँ थे
क्यो नही बताया मै हि ईशवर उन्हे वहाँ पे
किन्तु उन्हे दे देता परिचय युध्द न होता
क्या मैने ये ठीक किया था रुप छिपाकर
तुम सोचो मानव

औ जब अर्जुन ने छोड दिया था गांडीव अपना
रण के बीचोबीच और सब लगे सोचने
कि अब लगता है जैसे कि अब युध्द न होगा
शुरू किया फिर क्यो मैने उपदेश सुनाना
किन्तु उन्हे उपदेश न देता युध्द न होता
क्या मैने यह ठीक किया उपदेश सुनाकर
तुम सोचो मानव

Views: 572

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by manoj shukla on April 11, 2013 at 1:02pm
आपका हार्दिक आभार संदीप जी
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 11, 2013 at 12:33pm

आदरणीय मनोज जी

शास्त्र सम्मत मुझे जितना ज्ञान है उसके अनुसार प्रभु ने ये युद्ध धर्म की पुनः स्थापना करने हेतु किया था
"जब जब होई धर्म की हानि"
कुछ तो ऐसा करना ही होता है
उन्होने ने भी जीव मात्र को यही शिक्षा दी है के अपने धर्म से डिगना नहीं है और अधर्म का नाश करना है
फिर भले उसके रास्ते में रिस्ते नाते दीवार बन खड़े हों

इस एक मात्र उपदेश की कमी लगी आपकी रचना में
साधुवाद

Comment by manoj shukla on April 11, 2013 at 9:07am
आदर्णीय कुन्ती जी सादर आभार आपका.... इस रचना के माध्यम से मै यह कहने का प्रयास करता हूँ कि भगवान श्री कृष्ण चाहते थे कि महाभारत हो. श्री कृष्ण ने कोई अनुचित कार्य नही किया क्योकि मेरे अनुसार कभी कभी धर्म की रक्षा हेतू धर्मयुध्द आवश्यक हो जाता है. यदि इस विचार को स्पष्ट रूप से कहने का प्रयास करता तो उतना प्रभावकारी न रह जाता. अतः मैने अपने रचना के माध्यम से उपरोक्त विचार पाठको के मन मे स्वयं उत्पन्न हो सके इसका प्रयास किया है.
Comment by coontee mukerji on April 11, 2013 at 12:04am

मनोज शुक्ला जी , आपकी कविता की थीम तो बहुत अच्छी है  .लेकिन आलोचना की दृष्टि से बहुत सी कमियाँ है  . कर्ता का प्रश्न , के

साथ संदेश  श्पष्ट नहीं है. मैं कई बार पठन के बाद इस निश्चय पर पहूँची हूँ. आपको बहुत बहुत ध्न्यवाद .

Comment by manoj shukla on April 10, 2013 at 3:30pm
आपका हार्दिक आभार ' वेदिका ' जीँ
Comment by वेदिका on April 10, 2013 at 1:52pm

सुंदर विचार कहे आपने आदरणीय ........ मानव का एक विवेक है जिसे कोई भगवन नही बल्कि स्वयं को ही जगाना होता है ...किसी भी घटना/ दुर्घटना के लिए कोई और नही बल्कि हमारी ही विचार धारा, बुद्धि ही दोषी है।    उपदेश युद्ध के लिए बल्कि स्वयं के स्वयित्ता की रक्षा हेतु था .....कर्म करने हेतु था ...!


बहरहाल शुभकामनायें स्वीकारे  आदरणीय मनोज जी!
सादर गीतिका 'वेदिका'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service