For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहने को तो चाँद तारे,
आसमा की चादरों से
जड़ के सलमा और सितारे
हम को ये भरमा के हारे
"हैं तो ये पाषाण ही ना "

नदियों का तट चाँद मद्धिम
सूर्य की आभा हुयी कम ,
सतह जल की तल निहारे
चांदनी की परत डारे
"तल में बस पाषाण ही ना"

ह्रदय कोमल, मन सु-कोमल
त्वरित धडका, दौड़ता सा
पागलों की भाँती चाहा
फिर भी उसका मन न पिघला
" है तो वो पाषाण ही ना "

ह्रदय माँ का , गंगा यमुना
बह रहा है प्यार इतना
नेह से कुछ  दूर होकर
हूँ सुबकती याद करके
"मैं नहीं पाषाण हूँ माँ "

Views: 344

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 22, 2012 at 4:03pm

आपकी उर्वर मनस को बारहा बधाइयाँ, सुमनजी. आदरणीया सीमाजी ने उचित सुझाव दिये हैं. मैं उनका भी आभारी हूँ. एक सीमा के बाद रचनाकार के लिए रचनाकर्म एक सुगढ़ आदत होनी चाहिये, लत नहीं.

//देर रात में बनायी थी ये कविता - संयोजित नहीं थी.//

इस पर अब क्या कहा जा सकता है ? 

Comment by SUMAN MISHRA on December 22, 2012 at 11:01am

जी प्रिय सीमा दी...कुछ ऐसा ही....आपने इतने ध्यान से पढ़ा और और आभारी हूँ आपके परामर्श के लिए,,,देर रात में बनायी थी ये कविता - संयोजित नहीं थी....बहुत बहुत धन्यबाद  सीमा दी

Comment by seema agrawal on December 21, 2012 at 8:30pm

ह्रदय कोमल, मन सु-कोमल
त्वरित धडका, दौड़ता सा
पागलों की भाँती चाहा
फिर भी उसका मन न पिघला
" है तो वो पाषाण ही ना...........दिल को छू गयी आपके ये पंक्तिया सुमन जी 

ह्रदय माँ का , गंगा यमुना
बह रहा है प्यार इतना
नेह की दूर होकर हूँ सुबकती
"मैं नहीं पाषाण हूँ माँ ".....................अंतिम बंद जो सबसे अधिक संवेदनशील है उसने आप शायद पंक्तियों को ठीक से संयोजित नहीं कर सकी हैं और सही CUT न मिल पाने से अर्थ बिखर गया 

ह्रदय माँ का , गंगा यमुना
बह रहा है प्यार

इतना नेह की

दूर होकर

हूँ सुबकती
"मैं नहीं पाषाण हूँ माँ ".....................................इस बंद को एक बार फिर से देखिये 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
2 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
3 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मिथिलेश जी, इतना ही कहूँ,   ... ' पहचान पता न चले। बस। ' रहस्य - रोमांच…"
48 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय उस्मानी जी, लघुकथा की मार्मिकता की परख हेतु आपका दिली आभार। "
51 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा को मान देने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय, मिथिलेश जी। "
53 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"उस दफ़्तर में ये अविनाश है कौन? यह संकेत स्पष्ट नहीं हो सका। चपरासी है या बाबू? स्नेहा तो…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"कारण (लघुकथा): सरकारी स्कूल की सातवीं कक्षा में विद्यार्थी नये शिक्षक द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखे…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सादर नमस्कार आदरणीय। 'डेलिवरी बॉय' के ज़रिए पिता -पुत्र और बुज़ुर्ग विमर्श की मार्मिक…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। लघु आकार की मारक क्षमता वाली लघुकथा से गोष्ठी का आग़ाज़ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"डिलेवरी बॉय  मई महीने की सूखी गर्मी से दिन तप गया था। इतने सारे खाने के पैकेट लेकर तीसरे माले…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। यह लघुकथा पाठक को गहरे…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान'मैं सुमन हूँ।' पहले ने बतया। '.........?''मैं करीम।' दूसरे का…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service